Young Writer, चंदौली। जिला कृषि रक्षा अधिकारी स्नेह प्रभा ने बताया कि वर्तमान में रबी की बुआई का समय आ गया है। ऐसे में किसान बुआई से पहले बीज शोधन अवश्य कर लें। क्योंकि फसलो में रोग, बीज, मृदा, वायु एवं कीटो द्वारा फैलते है एवं बीज जनित रोगों का कोई भी उपचार सम्भव नहीं है। बीज जनित व भूमि जनित रोगों से आगामी बोई जाने वाली फसल के बचाव हेतु बीज शोधन अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने बताया कि बीज शोधन का कार्य कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत अथवा थीरम 75 प्रतिशत 2.5 ग्राम से 3 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से तथा ट्राइकोडर्मा जैविक रसायन द्वारा 4 से 5 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से किया जाता है। बीज शोधन द्वारा फसल की रोगो से सुरक्षा कर अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है, जिससे कृषकों की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी। लिहाजा जिले के किसान बोआई से पहले बीज शोधन जैसे महत्वपूर्ण कार्य के प्रति ध्यान दें। बीज शोधन व भूमि शोधन रसायन कृषि रक्षा इकाइयों पर 75 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध है।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी स्नेह प्रभा ने बताया कि भूमि शोधन हेतु 2.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर ट्राइकोडर्मा या ब्यूबेरिया बैसियाना बायो रसायन को 75 किग्रा सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर 10-12 दिन तक छाया युक्त स्थान पर रखकर पानी के छीटे मारें, ताकि नमी बरकरार रहे। तत्पश्चात इस 75 किग्रा गोबर की खाद जो कि बायोपेस्टीसाइड में तब्दील हो चुका है इसे जुताई करके बुवाई से पहले खेत में मिला दें। इससे खेत में मौजूद दीमक एवं फफूंद से छुटकारा मिलेगा। साथ ही खेत में जैविक खाद की कमी भी पूर्ण हो जाएगी। अधिक जानकारी के लिए कृषि रक्षा अधिकारी से सम्पर्क कर सकते हैं।