Young Writer, चंदौली। एक लापरवाही कितनी भारी पड़ सकती है ककरैत पुल पर हुआ हादसा इसका उदारहण है। हादसे में हताहत विवाहिता इन्द्रवासा देवी ट्रामा सेंटर में ईलाज के दौरान जीवन की जंग हार गयी। इन्द्रवासा की अंतिम सांसों के साथ ही उनकी ममता पर आश्रित चार मासूमों से जीवन के मजबूत आधार का आसरा भी हमेशा के लिए छिन गया। इनके लिए यह क्षति ऐसी है जिसकी किसी कीमत पर, किसी दशा में पूर्ति हो पाना असंभव है। ऐसे में इंद्रवासा का शव उसके मायके ककरैत पहुंचा तो गांव में गम व गुस्से की लहर दौड़ पड़ी। घर-परिवार, पास-पड़ोस के साथ गांव के एक-एक शख्स की आंखों में गम के आंसू थे तो गुस्से की लालिमा भी उन्हीं आंखों में दिख रही थी।
इसके इतर जब मोती चौधरी के आवास पर उनकी पुत्री का शव पहुंचा तो अपने मां के अंतिम दर्शन को आए बच्चों की करूण रुदन व वेदना को देखकर हर कोई फफक पड़ा। परिवार के लोग इस घटना के बाद अपनी पुत्री को खोने को लेकर गमजदा थे तो पास-पड़ोस के लोग यह सोचकर व्यथित हो जा रहे थे कि अब इन चार मासूमों विनोद, अयोध्या, नीतू व गुड़िया का क्या होगा? अब इन्हें कौन प्यार व दुलार देगा। ककरैत पुल पर हुई घटना ने इन बच्चों के सिर से हमेशा के लिए मां का आंचल छिन लिया। घटना की जानकारी होते ही आस-पास के गांव के लोगों की भारी भीड़ जुटने लगी। वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव मनोज कुमार सिंह डब्लू भी ककरैत पहुंचे और इस हृदय विदारक घटना पर अपनी संवेदना व्यक्त की। पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाने के साथ ही संबल प्रदान किया। दुख की इस बेला में मोती चौधरी के आवास पर अंतिम क्षण तक मौजूद रहे और इंद्रवासा के अंतिम संस्कार यात्रा में शामिल होकर अपनी संवेदना जताई। कहा कि एक लापरवाही ने चार बच्चों से उसकी मां व ममता को छिनने का काम किया है। इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोग क्या इन बच्चों को पहुंची क्षति की पूर्ति कर पाएंगे। आखिर इनके लालन-पालन का जिम्मा कौन लेगा। यदि पुल पर एक लापरवाही नहीं होती तो आज ये बच्चे अनाथ होकर इस तरह बिखलते नहीं। कहा कि पुलिस-प्रशासन को ऐसी घटनाओं के प्रति संवेदना रखनी चाहिए। मांग किया कि इस घटना के लिए जो भी जिम्मेदार है पुलिस-प्रशासन उसके खिलाफ कठोरम कार्यवाही अमल में लाए, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो पाए और फिर किसी की मां, बहन, बेटी व पत्नी उनसे जुदा न हो।