Story Credit: Saddam Khan
Young Writer, इलिया। जनपद में इन दिनों खाद को लेकर सहकारी समितियों पर जबरदस्त कोलाहल मचा हुआ है। स्थिति यह है कि खाद की बोरियों को पाने की लालसा किसान अलसुबह ही कतारबद्ध हो जा रहे हैं। उनका चिंतित होना और खाद के लिए जद्दोजहद करना लाजिमी है, क्योंकि वह तय समय पर खेतों में खाद का छिड़काव नहीं कर पाए तो उनकी पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ना तय है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर किसान हरबार सीजन में खाद की किल्लत की समस्या से क्यों दो-चार होते हैं? इस बाबत जब विभागीय पड़ताल की गयी तो एक ऐसी जानकारी पटल पर आयी, जिससे बड़ी आसानी से ही इस समस्या का हल निकाला जा सकता है।
विभागीय कर्मचारियों ने यह जानकारी दी कि कृषि विभाग जनपद में उर्वरक नियंत्रक प्राधिकारी है। यदि खुले बाजार में बिक रहे उर्वरक की ओवर रेटिंग पर कृषि विभाग लगाम लगा दे तो सोसाइटी पर लगने वाली आधे से अधिक भीड़ कम हो जाएगी। वर्तमान में ओवररेटिंग का आलम यह है कि किसानों को खुले बाजार में इफ्को के उर्वरक के लिए प्रति बोरी पर 150 से 200 रुपये अधिक खर्च करना पड़ता है। यही वजह है किसान अपने आर्थिक बोझ को कम करने के लिए सोसाइटी पर कतारबद्ध होने के लिए विवश है। बताया कि जनपद में खाद के 12 डिलर सप्लायर है, जो खाद आपूर्ति का जिम्मा संभाले हुए हैं। सरकारी विभाग के आंकड़े यह बताते हैं कि इफ्को पहले कुल जरूरत का करीब 35 प्रतिशत खाद सप्लाई करता था। शेष खाद की आपूर्ति अन्य कम्पनियों के द्वारा की जाती थी, लेकिन ओवररेटिंग के कारण किसानों की भीड़ सोसाइटी पर बढ़ी तो इफ्को ने अपने हिस्से का कोटा बढ़ाकर 45 प्रतिशत कर दिया। फिलहाल इफ्को द्वारा 45 प्रतिशत से अधिक खाद की सप्लाई की जा चुकी है। इसके बाद भी जनपद में खाद की किल्लत बनी हुई है जिसे पाने के लिए हर दिन किसान जद्दोजहद कर रहे हैं। विभागीय कर्मचारियों की माने तो यदि नियंत्रक प्राधिकारी यानी कृषि विभाग निजी दुकानों पर खाद बिक्री पर नियंत्रण कर ले और ओवररेटिंग को प्रायः पूरी तरह से समाप्त कर दे तो सोसाइटी पर खाद के लिए हो रही मारामारी की समस्या से प्रशासन व किसानों को निजात मिल जाएगी। बताया कि न्याय पंचायत स्तर पर यदि प्राविधिक सहायक व ब्लाक स्तर पर एडीओ एग्रीकल्चर यदि खाद की बिक्री पर नियंत्रण कर ले तो किसानों को इस समस्या से निजात मिल सकता है।