सरकारी व्यवस्था के मुताबिक होनी थी 60 हजार की खरीद, मात्र 55.60 कुंतल की हुई खरीद
Young Writer, इलिया। जनपद में धान खरीद की गति व व्यवस्था जाननी है तो इन आंकड़ों पर जरूर गौर फरमाना होगा। नजीर के तौर पर शहाबगंज ब्लाक के क्रय केंद्र लटांव को लेते हैं जो कागज पर 21 दिसंबर को खुला और भौतिक रूप से इसे पांच जनवरी को सक्रिय किया गया। यहां 44 किसानों ने धान की उपज बेचने के लिए नंबर लगाया। क्रय केंद्र दो कांटों की क्षमता से लैस है, जहां प्रतिदिन 1200 कुंतल की खरीद हो जानी चाहिए यानी एक कांटे से खरीद का लक्ष्य 600 कुंतल निर्धारित है।
यह आंकड़ा देखने में काफी अच्छा लगता है लेकिन खरीद से जुड़े वास्तविकता पर गौर करें तो पांच जनवरी के बाद से लगायत अब तक क्रय केंद्र लटांव पर अब तक मात्र दो किसानों से 55.60 कुंतल की खरीद की गई है यानी 42 किसानों से खरीद होना अभी भी शेष है। जबकि सरकारी मानक व व्यवस्था के अनुसार 60000 कुंतल धान की खरीद नौ जनवरी तक हो जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यकीनन ऐसा न होने की स्थिति क्रय केंद्र प्रभारी व जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मचारियों की लापरवाही से पैदा हुई है जो इस वक्त किसानों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।

अशोक सिंह, अरविंद नारायण, भूपेंद्र सिंह, रामअशीष यादव आदि किसानों का आरोप है कि क्रय केंद्र पर कभी भी दोनों काटे सक्रिय नहीं हुए। साथ ही किसान जब भी धान बेचने के लिए क्रय केंद्र पहुंचते हैं तमाम प्रकार की अव्यवस्था व संसाधनों की कमी को गिनाकर किसानों को लौटा दिया जाता है। ऐसे में किसान बार-बार क्रय केंद्र का चक्कर काटने को बाध्य हैं। अब किसानों की मजबूरी धीरे-धीरे आक्रोश में बदलने लगी है। यदि समय रहते किसानों के धान की खरीद नहीं हुई तो कभी भी किसानों का गुस्सा फूट सकता है। किसानों का आरोप है कि जानबूझकर किसानों की धान की खरीद में अधिकारी व कर्मचारी बाधा उत्पन्न कर रहे हैं ताकि बिचौलिए के माध्यम से धान की खरीद की अपनी निजी मंशा को फलीभूत कर सके, जिससे किसानों का नुकसान होगा। साथ ही अधिकारियों-कर्मचारियों की जेब गर्म होगी। इस बाबत जिला विपणन अधिकारी सौरभ कुमार यादव ने बताया कि सेंटर पर संसाधनों की कुछ कमी थी, जिसे पूरा करके धान खरीद को गति दी जाएगी। खराब कांटे को दुरूस्त करने का निर्देश मंडी सचिव को दे दिया गया है।