Young Writer, चंदौली। जनपद में औसत से कम बारिश होने के चलते धान की फसल पर संकट के बादल छाए हुए हैं। वहीं खरीफ फसलों पर कीट रोग व खरपतवार के प्रकोप का खतरा भी बढ़ गया है। इसे देखते हुए कृषि विभाग ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। इसपर किसान घर बैठे फसलों में लगने वाले कीट रोग से बचाव के संबंध में विशेषज्ञों से सलाह प्राप्त कर सकते हैं।
जिला कृषि अधिकारी बसंत कुमार दुबे ने कहा कि फसलों में लगने वाले समायिक कीट रोग एवं खरपतवार बचाव के लिए हेल्पलाइन नंबर 94522247111 व 9452257111 जारी किया गया है। इन नंबरों पर वाट्सएप की भी सुविधा उपलब्ध है। ऐसे में किसान धान अथवा खरीफ की अन्य फसलों में किसी तरह के रोग अथवा कीटों का प्रकोप होने पर इन नंबरों पर फोन कर विशेषज्ञों की सलाह ले सकते हैं। किसान रोगग्रस्त फसल की फोटो खींचकर भी इन नंबरों पर भेज सकते हैं। विशेषज्ञों की ओर से उचित सलाह दी जाएगी। उन्होंने बताया कि धान की फसल में सकरी व चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार के नियंत्रण के लिए प्रेटिलाक्लोर 50 फीसद, ईसी 1.50 लीटर अथवा एनीलोफास 30 प्रतिशत, ईसी 1.25 से 1.50 लीटर अथवा पाइराजोसल्फ्यूरान इथाइल 10 प्रतिशत, डब्ल्यूपी का पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं। इससे खरपतवार की समस्या दूर हो जाएगी। वहीं दीमक व जड़ की सूड़ी के लिए क्लोरोपायरीफास 20 फीसद ढाई लीटर पानी में घोल बनाकर एक हेक्टेयर फसल में छिड़काव किया जा सकता है। खैरा रोग के लिए पांच किलो जिंक सल्फेट 20 किलोग्राम यूरिया अथवा 2.50 किलोग्राम बुझे हुए चूने को प्रति हेक्टेयर की दर से 100 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। वहीं तना छेदक क्लूनालफास 25 फीसद ईसी को 1.5 लीटर 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि यदि अगस्त माह के तीसरे सप्ताह में भी बारिश नहीं होती है तो कृषक सितंबर माह में उर्द, मूंग व तोरिया, सरसों आदि फसल की बुआई कर सकते हैं। फसलों का विरलीकरण करने से पौधों की संख्या कम हो जाएगी और पत्तियों से उड़ने वाली नमी का नुकसान कम होगा।