Chandauli के जलालपुर गांव के किसानों को हर वर्ष उठाना पड़ रहा बड़ा नुकसान
Chandauli: दूसरों का पेट भरने वाला अन्नदाता कितना सहनशील व साहसिक है इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। बात उस किसान की हो रही है जो चौतरफा मार झेलने के बाद भी अपनी मिट्टी, अपने खेत-खलिहान से अपना नाता नहीं तोड़ता, बल्कि हर बार नई उम्मीद और ऊर्जा के साथ अन्न पैदा करता है, ताकि उसके परिवार के साथ ही कई अन्य परिवारों की भूख मिट सके। ऐसी स्थिति में किसान वर्ग की आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा का हकदार तो है ही, लेकिन उन्हें यह कभी सुलभ नहीं हुई, जिससे किसानों को हर वर्ष बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है।
बात करें चंदौली के जलालपुर गांव के किसानों की तो यहां कुछ किसान सिवान में गेहूं-धान के अलावा कन्ना, जिसे Sweet Potato कहा जाता है उसकी खेती छोटे पैमाने पर करते हैं। जो बीते दो वर्ष से उनके लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि जंगल सूअर हर बार उनकी फसल को खोद कर खा जाते हैं और बचे हुए फसल को नष्ट कर देते हैं, जिससे ऐन वक्त पर पूरी कीपूरी फसल किसानों के हाथ से फिसल जा रही है। हालांकि कई बार किसानों ने समस्या से निजात का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली।
कांटा गांव से सटे जलालपुर गांव के किसान बसंतू मौर्या, धनंजय मौर्या, जगरनाथ, शंकर व रामअशीष बताते हैं कि कन्ना की बोआई पिछले कई वर्ष से करते आ रहे हैं, लेकिन बीते दो वर्ष से उनके हाथ कुछ भी नहीं लग पा रहा है। यहां तक की बोआई का खर्चा भी नहीं निकल पा रहा है, जिससे उन्हें बड़ा नुकसान हो रहा है। बताया कि कन्ना की नर्सरी जनवरी से फरवरी माह में डाली जाती है और उसकी बुआई का सीजन अप्रैल से जुलाई के मध्य है जो मार्च में पूरी तरह से तैयार हो जाता है।
बताया कि एक बिस्वा में कन्ना की बोआई पर 500 से 800 रुपये खर्च आता है और प्रति बिस्वा पैदावार करीब दो कुंतल के करीब होती है। तैयार फसल मार्केट में 30 से 40 रुपये प्रति किलो आराम से बिक जाती है। ऐसे में किसानों को प्रति बिस्वा चार हजार रुपये तक का नुकसान झेलना पड़ रहा है। गांव के आधा-दर्जन किसानों ने करीब 10 बिस्वा में इसकी खेती कर रही है। इस बार भी उनके हाथ कुछ नहीं आया, क्योंकि बीते सप्ताह जंगली सूअरों के आंतक के कारण उनकी कन्ने की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गयी। इससे किसान काफी आहत हैं।
किसानों को नुकसान से बचाए प्रशासन
चंदौली। जलालपुर के किसान चाहते हैं कि उनकी फसलों को जंगली सूअर से होने वाले आर्थिक नुकसान से बचाया जाए। इसके लिए वन विभाग व कृषि विभाग के अफसरों को किसानों की शिकायतों को संज्ञान में लेकर उसके निदान के प्रति गंभीरता दिखाने की जरूरत है। बताया कि कई बार उन्होंने समस्या को जिम्मेदार विभाग तक पहुंचाया, लेकिन उनकी सूचना व शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं हुई, जिससे किसानों का हौसला टूट रहा है। बताया कि ऐसे ही नुकसान होता रहा तो उनकी आर्थिक स्थिति दिनप्रतिदिन खराब होगी। ऐसे में प्रशासनिक अमले को किसानों हित में जंगली सूअरों पकड़ने की कार्यवाही को यथाशीघ्र अमल में लाना चाहिए, ताकि किसानों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।