Young Writer, चंदौली। संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होने जा रहे बैंकों के निजीकरण के खिलाफ जनपद के सभी बैंक अधिकारी व कर्मचारी दो दिवसीय हड़ताल पर रहे। इस कारण जनपद की 169 बैंक शाखाएं पूरी तरह से बंद रही, जिससे करीब 100 करोड़ का लेन-देन प्रभावित हुआ। इसका बोझ सीधे विभिन्न बैंकों के एटीएम केंद्रों पर पड़ा तो वहां नकदी निकासी के लिए सुबह के वक्त लम्बी कतारें लग गयी। ऐसे में दोपहर होते-होते सभी बैंकों के एटीएम भी जवाब दे गए। जिस कारण आम लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वहीं कुछ लोग हड़ताल की जानकारी न होने के कारण सुबह काफी देर बैंकों शाखाओं के बाहर इंतजार करते दिखे।
दो दिवसीय हड़ताल के बाबत आल इंडिया यूनियन बैंक आफिसर्स फेडरेशन के अध्यक्ष एवं एआईबीओसी के उपाध्यक्ष गिरधार गोपाल ने बताया कि बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों की हड़ताल निजीकरण के खिलाफ है जिससे चंदौली में 100 करोड़ और बनारस जैसे बड़े शहर में 500 से 600 करोड़ का लेन-देन प्रभावित हुआ है। बताया कि संसद के शीतकालीन सत्र में निजीकरण बिल लिस्टेड है हम अपनी हड़ताल के जरिए सरकार तक यह संदेश पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं कि देश व जनहित में बैंकों के निजीकरण का बिल पास न किया जाय। बताया कि अभी बैंकों के राष्ट्रीय का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ है ऐसे में बैंकों के निजीकरण से उस उद्देश्य को गहरा आघात पहुंचेगा। निजीकरण देश के आम नागरिकों के हित में नहीं है क्योंकि इससे बैंकिंग सेवाएं गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार के लिए महंगी हो जाएगी। बताया कि जन-धन समेत सामाजिक कल्याण की जो भी योजनाएं हैं उसे पात्र लोगों तक पहुंचाने में सरकारी बैंक ही अग्रणी भूमिका निभाते आ रहे हैं। बावजूद इसके सरकार नया विधेयक लाकर बैंकों के निजीकरण करने की दिशा में कदम आगे बढ़ा रही है, जिस हम सभी बैंक अधिकारी व कर्मचारी पुरजोर विरोध करते हैं। एलडीएम शंकर चन्द्र सामन्त ने बताया कि हड़ताल के कारण चंदौली जनपद के बैंकिंग सेवा पर पूर्णतः प्रभावित रहीं, जिसका कारण किसी भी बैंक की कोई भी शाखा नहीं खुली। साथ ही जनपद के करीब 122 एटीएम केंद्रों में अधिकांश में नकदी खत्म हो गया।