Young Writer, मुगलसराय। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस प्रतिवर्ष महिलाओ को उनके अबला होने एहसास कराने आ जाता है और जब तक यह दिन विशेष रूप से मनाया जाएगा तब तक महिलाएं सशक्त नहीं हो पाएंगी। आजकल महिलाएं हर क्षेत्र में आगे आकर काम कर रही हैं। इसका उदाहरण खुशी की उड़ान संस्था की संस्थापिका सारिका दुबे हैं। आज पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहा होगा परंतु खुशी की उड़ान की संस्थापिका सारिका दुबे महिला होने के बावजूद भी नित्य की भांति अपनी जनकल्याण की भावना तथा आम जनमानस के मदद करने में लगी है।

पंडित दीनदयाल नगर निवासी श्याम पैरों से दिव्यांग हैं उन्हें वर्ष 2021 में ट्राई साइकिल दिलवाकर उनकी दिव्यांगता को दूर करने का प्रयास किया गया था परंतु सारिका के मन मे हमेशा से यह चिंता थी कि दिव्यांगजनो को ट्रायसाइकिल दिलाने से समस्या का हल नहीं होगा। उन्हें सम्मानजनक जीवनयापन कराने और सक्षम बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए। इसी सुंदर संकल्प ने नायाब आइडिया को जन्म दिया कि क्यों न ट्राई साइकिल के ऊपर ही दुकान लगा दी जाए जिससे दिव्यांग दुसरो पे आश्रित न होकर स्वरोजगार कर स्वालंबी बनें और सम्मानपूर्वक जीवन यापन कर सके। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पंडित दीनदयाल नगर निवासी श्याम के ट्राई साइकिल पर दुकान खुलवा कर उसे आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से खुशी की उड़ान संस्था द्वारा स्वरोजगार कराया गया। इस अवसर पर श्याम जी ने कहा कि संस्था द्वारा स्वरोजगार कराके मुझे नया सम्मानित जीवन जीने का मौका दिया गया है इसके लिए मैं संस्था का आभारी हूँ। वही संस्था की संस्थापिका सारिका दुबे ने बताया कि दिव्यांगता अभिशाप नही अवसर है।अवसर है खुद को प्रमाणित करने का अवसर है खुद को साबित करने का। सूरदास नयनों के अंधे पर उनके ज्ञान के दिव्यता की रौशनी हजारों साल बाद भी अलौकिक हो रही है।दिव्यांग जन अपनी मेहनत के बलबूते समाज मे अपना नाम बना सकते है। वही दिव्यांग श्यामजी को आत्मनिर्भर बनाने में संस्था के सदस्य अनिल गुप्ता ने सहयोग किया उन्होंने कहा कि दिव्यांगों की सेवा देव सेवा है मैं सौभाग्यशाली हूँ जो दिव्यांगों की सेवा कर पा रहा हूँ।
