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Tuesday, February 4, 2025

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खर्च घटाएगी, आदमनी बढ़ाएगी सपा की संभावित सरकार

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आम आदमी के जेब का ख्याल रखने वाली है 300 यूनिट मुफ्त बिजली व समाजवादी पेंशन योजना

Young Writer, चंदौली। समाजवादी पार्टी की सरकार यूपी में लौटी से गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों का जीवन सुख, समृद्धि से जगमग हो उठेगा। उनके दिनचर्या दुश्वारियां रहित होंगी और सुविधाएं उनके जीवन की सहायक होंगी। उनका जीवन सरल, सहज व आश्वस्ति भरा होगा। यह सबकुछ समाजवादी पार्टी के घोषणा-पत्र में मुमकिन नजर आ रहा है। इस लिहाज से सूबे की जनता को समाजवादी पार्टी के के वादों व घोषणाओं पर गौर-फरमाना चाहिए। उसे पढ़ने व उसके प्रभावी होने पर उनके असरात को समझने की जरूरत है। यदि सपा ने इन वादों को अमल में लाना तो उनके जीवन में बड़ा बदलाव क्या होने जा रहा है? क्या वह इस बदलाव के साथी व साक्षी बनेंगे, जिससे उनकी जद्दोजहद भरा जीवन सुख, समृद्धि, सम्पन्नता व सुविधाओं से लैस नजर आए।

आइए गौर फरमाते हैं कि समाजवादी पार्टी के चंद वादों व घोषणाओं के अमल में आने के बाद संभावित प्रभाव व परिवर्तन की। सपा ने अबकी बार बिजली को चुनावी मुद्दा बनाया है। सपा का मानना है कि बिजली आम आदमी की जरूरतों में शुमार है और उसे बुनियादी सुविधाओं में गिना जाता है लिहाजा गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार को यह सुविधा बेहतर ढंग से मुहैया कराने के साथ-साथ यदि एक निर्धारित सीमा तक निःशुल्क किया जाना अब जरूरी है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए सपा ने 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा बहुत पहले ही कर दी है। यदि वर्तमान में बिजली की दरों पर नजर डाले और उससे उसका गुणक तैयार करें तो संभावित समाजवादी सरकार एक परिवार पर करीब 1950 या यूं कहें 2000 रुपये का बोझ खुद वहन करेगी। यानी सरकार ने उन तमाम गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों के बिजली बिल का जिम्मा ले लिया जो प्रतिमाह तक 300 यूनिट तक बिजली खर्च करते हैं।

इसके अलावा सरकार ने समाजवादी पेंशन को पुनः लागू करने व उसकी राशि 500 से बढ़ाकर 1500 रुपये करने का वादा किया है। यह पिछली सरकार की महत्वकांक्षी योजना थी, जो काफी कारगर व प्रभावी साबित रही है। यह सपा सरकार की वही योजना थी। जिसका मानक था जो किसी भी कल्याणकारी योजना में पात्र नहीं, वही समाजवादी पेंशन योजना का लाभार्थी है। इसके के सहारे उन तमाम लोगों को समाजवादी पार्टी ने पेंशन देने का काम किया था, जो गरीब होने के साथ-साथ असहाय व असक्त थे। इस तरह सपा की मात्र दो योजनाएं एक करीब परिवार को प्रति माह 3500 रुपये का लाभ पहुंचाने का काम करेंगी। इसे एक बड़ी मदद की श्रेणी में गिना जाएगा। क्योंकि यह 3500 रुपये उन गरीबों के लिए बड़ा मायने रखता है जो किसी तरह पूरे दिन कड़ी मेहनत करके 100-200 रुपये कमा पाते हैं। ऐसे में मात्र दो योजनाओं से ही समाजवादी पार्टी आगाामी संभावित सरकार में बड़ी मदद करती नजर आएगी। अब सवाल यह है कि सूबे की जनता इन योजनाओं के प्रभाव व असर से कितना प्रभावित होती है। वह इन सामान्य से नजर आ रही चुनावी वादों को कितना गंभीरता से लेती है और उसे पर अपनी क्या प्रतिक्रिया विधानसभा चुनाव में देती है। क्या वह यह बदलाव करने में सहायक व साथी की भूमिका में नजर आएगी। यह सबकुछ चंद दिनों बाद आरंभ हो रहे विधानसभा चुनाव में देखने को मिल ही जाएगा। बावजूद इसके इन योजनाओं का जो संभावित प्रभाव है वह खासकर गरीब व निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए बड़ा सहारा बनेगी। क्योंकि आज देश में महंगाई का जो स्तर है उसमें घर-परिवार के खर्च को संभाव पाना मुश्किल होता जा रहा है।

देखिएǃ क्या कहते हैं सपा की योजनाओं के संभावित आंकड़े
चंदौली की वर्तमान जनसंख्या 2262463 अनुमानित है। इसमें 65 फीसदी लोग ऐसे हैं जो बेहद गरीब अथव निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों से आते हैं। यानी 14 लाख लोग जैसे-तैसे अपना गुजर-बसर व अपनी आजीविका चला रहे हैं जो सम्पन्न घरानों की श्रेणी में नहीं आते हैं। यानी जनपद में करीब 10 लाख परिवार ऐसे हैं जो बेहद गरीब है‚ जिसमें नौगढ़ व चकिया का सुदूर पहाड़ी व जंगली इलाके की आबादी के साथ ही गंगा के तटीय इलाके में रहने वाले लोगों की तादाद शामिल है। यदि समाजवादी पार्टी के मुफ्त बिजली व समाजवादी पेंशन योजना को इन तीस लाख परिवारों से कनेक्ट करें तो आंकड़े कुछ इस तरह होंगे-

  • 300 यूनिट मुफ्त बिजली यानी 6.5×300 = 1950 यानी करीब 2000 रूपये
  • 2000×1000000 =2000000000.00 यानी सरकार अकेले चंदौली में करीब तीस लाख परिवारों का दो अरब रुपये खर्च का जिम्मा खुद संभालेंगी।
  • इसी तरह समाजवादी पेंशन योजना को चंदौली जनपद के करीब 20 लाख लाभार्थियों पर प्रभावी माना जाए तो आंकड़ा कुछ यूं होगा-
    1500×2000000 = 3000000000.00 यानी संभावित सपा सरकार चंदौली में 20 लाख परिवारों को तीन अरब की मदद भी पहुंचाने का काम भविष्य में कर सकती है। कुल मिलाकर चंदौली जैसे छोटे जनपद में इन दो योजनाओं पर गरीबों के कल्याण व उनकी मदद पर सरकार करीब नौ अरब रुपये खर्च करेगी। या हूं कहे कि गरीबों व आम आदमी की जेब पर पड़ने वाला नौ अरब का बोझ कम होगा तो गलत नहीं होगा।
  • इसी तरह यह योजना पूरे सूबे में सपा की संभावित सरकार बनने के बाद प्रभावी हुई तो सरकार को 75 जिलों में जनकल्याण की इन दो योजनाओं पर कम से कम 375 अरब यानी 400 अरब रुपये खर्च करेगी। यानी यह पैसा आम आदमी की जेब में सुरक्षित रहेगी, जिससे वह अपनी अन्य बुनियादी जरूरतें पूरी कर सकेंगे।

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