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Friday, February 7, 2025

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…शहीदी धरती धानापुर को कब मिलेगा नगर पंचायत का दर्जा?

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धानापुर विकास मंच के संयोजक बोले, राजनेताओं में इच्छा शक्ति का अभाव

अबुल खैर (खुशहाल)
Young Writer, धानापुर। धानापुर शहीदों की धरती है और यह बात सर्वविदित है। यहां मौजूद शहीद स्मारक स्थल पर अंकित एक-एक शहीद का नाम इस की तसदीक कर रहा है। बावजूद इसके धानापुर विकास की उम्मीद लगाए हुए है और उसे विकास के नाम पर आश्वासन का घुट्टी पिलाई जा रही है। नगर निकाय चुनाव के शंखनाद के साथ ही धानापुर को नगर पंचायत का दर्जा देने की मांग ने भी फिर जोर पकड़ा है। यहां के लोग अपने प्रयासों पर मंथन करने के साथ ही राजनेताओं के कमजोर व बेदम हो चुके आश्वासन पर फिर से सोचने को विवश हैं। धानापुर जो कि आबादी व दायरे सहित अन्य तमाम मानकों को पूरा करने के बाद भी आज तक कस्बा बनकर रह गया। लोगों को उम्मीद थी कि नई सरकार में शहीदी धरती धानापुर को नया तोहफा मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता।

Young Writer: धानापुर कस्बा स्थित पुलिस थाना भवन।

धानापुर कस्बे की बात करें तो यहां सामुदायिक अस्पताल, ब्लाक मुख्यालय, राजकीय डिग्री कालेज, पुलिस थाना, विद्युत उपकेंद्र, आधा दर्जन से अधिक बैंक शाखाएं, शहीद स्मारक मौजूद है। वहीं कस्बा अंतर्गत धानापुर, नरौली, कुसुमही, सिहावल, बिनपुरवा, प्रभातपुर, बिझवल, धानापुर बस्ती, धानापुर मुसहर बस्ती आदि मजरे व गांव आते हैं, जिसकी अनुमानित आबादी 50 हजार के करीब है। आंकड़े और आबादी और यहां मौजूद सुविधाएं व संसाधन तो इस बात की पैरवी करते हैं कि धानापुर को कब का नगर पंचायत हो जाना चाहिए, लेकिन राजनीतिक खींच-तान व राजनेताओं की कमजोर इच्छाशक्ति के कारण यह काम आज भी अधर में है, जिससे धानापुर के विकास में बाधाएं आ रही है। धानापुर का विकास इस कदर पिछड़ा हुआ है कि यहां के स्थानीय लोगों को धानापुर विकास मंच का गठन करना पड़ा और इसी बैनर की अगुवाई में लोगों ने धानापुर के डेवलेपमेंट के लिए यात्राएं की, जागरूकता रैली निकाली, अफसरों से मिले, शासन से पत्राचार किया, लोगों से निरंतर जनसम्पर्क किए, नेताओं से सहयोग मांगा और विरोध-प्रदर्शन के जरिए जिम्मेदार अफसरों व विभागों को उनकी जिम्मेदारी का ऐहसास कराया। बावजूद इसके न तो धानापुर के नगर पंचायत बनने की मांग पूरी हो सकी और ना ही इसे तहसील का ही दर्जा मिल पाया। जबकि बीते विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया गया और स्थानीय जनता ने इसी मुद्दे को प्राथमिकता देते हुए मतदान भी किया, लेकिन अभी तक जनता खुद को ठगी हुई महसूस कर रही है।

Young Writer: धानापुर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र।
Young Writer: धानापुर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र।

आजादी की गाथा में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है ‘धानापुर’
धानापुर।
धानापुर का नाम अमिट है और इसे आजादी की लड़ाई की गाथा में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित किया गया है। इसकी बड़ी वजह थी कि स्वतंत्रता संग्राम के वीर योद्धा हीरा सिंह और उनके साथी महंगू सिंह और रघुनाथ सिंह की वीरता व देश के लिए अपना सर्वाेच्च समर्पण। आजादी के पांच वर्ष पूर्व ही स्वतंत्रता संग्राम के लड़ाकों ने धानापुर थाने पर तिरंगा फहरा दिया। इस दरम्यान हुई गोलीबारी में आठ सेनानियों को चोटें आईं, जिसमें हीरा सिंह, महंगू व रघुनाथ सिंह की मौत हो गयी। अब भी पुराना थाना भवन इन वीर शहीदों की शहादत की स्मृतियों को अपने आप में सहेजे हुए है।

Young Writer: धानापुर विकास मंच के गोविंद उपाध्याय।
Young Writer: धानापुर विकास मंच के गोविंद उपाध्याय।

राजनेताओं में इच्छा शक्ति की कमीः गोविंद उपाध्याय
धानापुर।
धानापुर विकास मंच के संयोजक गोविंद उपाध्याय ने बताया कि 2017 से ही धानापुर को नगर पंचायत बनाने की मांग की जा रही है। नगर पंचायत का दर्जा मिला गया होता तो अब तक स्थानीय बहुत सारी समस्याएं हल हो जाती है। इससे दाखिल खारिज, जमीन संबंधित मामले व साफ-सफाई और पानी की आपूर्ति जैसी मूलभूत सुविधाएं धानापुर नगर पंचायत के अधीन होता। साथ ही धानापुर के विकास को पंख लग जाते। राजनेताओं की इच्छा शक्ति का अभाव दिख रही है। इसे लेकर बातें सदन में उठाई गई, लेकिन राजनेताओं का प्रयास नाकाफी रहा है।

Young Writer: धानापुर स्थित शहीद स्मारक स्थल।

शहीदों को सम्मान दें सत्ता से जुड़े नेता-मंत्री
धानापुर।
चंदौली में चार निकायों में चुनावी हलचल के बीच पांचवें निकाय के रूप में धानापुर नगर पंचायत के गठन को लेकर स्थानीय जनता मुखर होती नजर आ रही है। स्थानीय लोगों ने प्रदेश सरकार के साथ ही जिला प्रशासन व स्थानीय विधायक, सांसद व मंत्रिगणों से धानापुर शहीदी धरती के लोगों की इस मांग को सरकार तक पहुंचाने में सक्रियता दिखाने का आग्रह किया है। कहा कि यदि सरकार व उससे जुड़े नेताओं व मंत्रियों के अंदर शहीदों के लिए यदि सम्मान है तो वह इस मांग को पूरा कराकर इसे प्रदर्शित व स्पष्ट करें। आमजन की आवाज बनकर उसे सरकार तक पहुंचाना ही जनप्रतिनिधियों का दायित्व व ड्यूटी है, जिसे आज के परिवेश में नेता भुलते जा रहे हैं।

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