Young Writer, Chahania: बलुआ स्थित पश्चिम वाहिनीं Ganga Ghat पर गंगा दशहरा के पावन अवसर पर शुक्रवार को हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगायी। स्नान के पश्चात भिक्षुओं को दान दिया। स्नान दान का सिलसिला भोर से ही चालू रहा। पौराणिक दृष्टि से निर्जला एकादशी पर गंगा स्नान का बहुत बड़ा महत्व है।
Balua स्थित पश्चिम वाहिनीं गंगा तट सहित टांडाकला, कैली, तीरगांवा,निधौरा,सहेपुर आदि गंगा तटों पर निर्जला एकादशी के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगायी। स्नान दान का सिलसिला भोर से शुरू रहा। रामलीला समिति के व्यास पंडित जयशंकर मिश्र ने बताया कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी या भीमसेनी एकादशी के नाम से विख्यात है। वैसे तो भारतीय जनमानस में आध्यात्मिक स्तर पर एकादशी व्रत सर्वाधिक लोकप्रिय व्रत है, परंतु कुछ एकादशियां अतिविशिष्ट स्थान रखती हैं और उन्होंने आस्था पर्व का स्वरूप ग्रहण कर लिया है। उदाहरण के लिए देवशयनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी, मोक्षदा एकादशी तथा निर्जला एकादशी कुछ विशेष महत्व की समझी जाती हैं। ये व्रत के साथ-साथ पंचांग के काल निर्धारण के लिए भी उपयोगी मानी जाती हैं। श्री हरि भगवान विष्णु के निमित्त किया गया एकादशी व्रत न सिर्फ कलियुग में कामधेनु सदृश्य है, अपितु द्वापर युग में भी एकादशी व्रत द्वारा मनोरथ सिद्ध होने के प्रमाण मिलते है। एकादशी कुछ विशेष महत्व की समझी जाती हैं। ये व्रत के साथ-साथ पंचांग के काल निर्धारण के लिए भी उपयोगी मानी जाती हैं। श्री हरि भगवान विष्णु के निमित्त किया गया एकादशी व्रत न सिर्फ कलियुग में कामधेनु सदृश्य है, अपितु द्वापर युग में भी एकादशी व्रत द्वारा मनोरथ सिद्ध होने के प्रमाण मिलते है। उन्होंने बताया कि यह ब्रत शुक्रवार और शनिवार दोनों दिन रखा जा सकता है। क्योंकि एकादशी तिथि शुक्रवार की सुबह 07ः25 से शुरू होकर शनिवार शाम 05ः45 तक समाप्त हो रही है। ऐसे में उदयातिथि के मान के अनुसार दोनों दिन व्रत रखा जा सकता है।