माइनर के पानी ने अस्पताल परिसर को अपनी गिरफ्त में लिया
Young Writer, चंदौली। यदि यह कहा जाए कि जनपद चंदौली में विकास बेकाबू हो गया है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसकी बानकी शनिवार को जिला अस्पताल परिसर में देखने को मिली। विकास के बड़े-बड़े दावे की पोल एक छोटी माइनर ने खोलकर रख दी। किसानों की मांग पर गेहूं सिंचाई के लिए मुख्य गंगा नहर से सम्बद्ध माइनर को छोड़ा गया तो पूरा का पूरा जिला अस्पताल परिसर डूब गया। शनिवार को दूरदराज ग्रामीण इलाकों से दवा-ईलाज के लिए लोग चलकर जिला अस्पताल पहुंचे तो वहां का दृश्य देखकर अवाक रह गए।
इस समस्या से जहां जिला अस्पताल में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों, चिकित्सकों व कार्यालयीय कर्मचारियों के साथ-साथ अस्पताल में आने वाले मरीजों व तीमारदारों को उठानी पड़ी। स्थिति यह थी कि जिला अस्पताल तक जाने वाले सभी रास्ते माइनर के पानी से डूब चुके थे। वहीं परिसर स्थित कई भवन भी उसकी चपेट में नजर आए। यह समस्या काफी पुरानी है, लेकिन न तो स्वास्थ्य विभाग ने इसे गंभीरता से लिया और ना ही जनप्रतिनिधियों की ओर से ही अस्पताल को सुविधाओं से लैस करने की दिशा में सार्थक पहल हुए। आम लोगों का आरोप था कि जनप्रतिनिधि व नेता विकास के नाम पर केवल कमिश्नर से अपनी जेब गर्म कर रहे हैं। ठेकेदारों की सुविधा व सहूलियत को ध्यान में रखकर परियोजनाओं व विकास का झुठा दावा किया जाता है। आमजन की मांग को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है, जिस कारण आज पूरा का पूरा जिला अस्पताल परिसर डूबा हुआ है। यह चंदौली के विकास की वास्तविक सच्चाई है।
मुख्यालय स्थित पंडित कमलापति त्रिपाठी परिसर तालाब में तब्दील हो गया है बगल से गुजरी नहर का पानी घुस जाने के कारण पूरा अस्पताल परिसर में जल ही जल दिखाई दे रहा है इससे आने वाले मरीजों और अधिकारियों कर्मचारियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है यही नहीं आवासीय परिसर में भी पानी घुसने के कगार पर पहुंच गया है जिसमें जिला जज समेत जिला अस्पताल के उच्च अधिकारी भी शामिल हैं पानी की परिसर में जमा होने के कारण मरीजों और तीमारदारों को भी कठिनाइयों के दौर से गुजरना पड़ रहा है यही नहीं इमरजेंसी वार्ड के ठीक सामने पानी लगने के कारण मरीजों को और एंबुलेंस को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा जिससे बीमारी दूर कर आने आने आने वाले लोग खुद बीमारी के शिकार होने के कगार पर हैं यही नहीं सबसे अधिक परेशानी कोविड-19 को होगी जो जांच कराने आ रहे हैं वह भी जांच केंद्र में पहुंचने के लिए पानी से होकर गुजरना पड़ रहा है