पार्टियों के वोट बैंक व टिकट के सहारे जीत की आस लगाए हुए हैं उम्मीदवार
Young Writer, चंदौली। कभी एकल व्यक्तित्व का चुनाव माना जाने वाला नगर निकाय चुनाव अब पार्टियों के दम पर लड़ा जा रहा है। स्थानीय स्तर पर अपने राजनीतिक वजूद को स्वतः समाप्त मान चुके भावी उम्मीदवार नामांकन पत्रों की खरीद करके पार्टियों से टिकट मिलने के इंतजार में है। यही वजह है कि नामांकन के तीन दिन इसी इंतजार की भेंट चढ़ गया। ऐसे में बचे हुए दो कार्य दिवस में सभी पार्टियों के उम्मीदवारों के नामांकन होने की पूरी संभावनाएं है।
विदित हो कि एक दौर में नगर पंचायत के चेयरमैन व वार्ड सभासद के चुनाव बिना पार्टी के सिम्बल के लड़ा और जीता जाता था। क्योंकि उस दौर के उम्मीदवारों को अपने खुद के राजनीतिक, सामाजिक व्यक्तित्व व पृष्ठभूमि पर पूरा यकीन होता था। लेकिन समय बीतने के साथ ही बदले राजनीतिक परिवेश में नगर निकाय जैसे स्थानीय चुनाव को लड़ने वाले उम्मीदवारों का यकीन खुद से उठता चला गया और अब वे पूरी तरह से राजनीतिक दलों के वोट बैंक व उनकी कृपा पर आश्रित होते दिख रहे है। अबकी बार तो वार्ड सभासद के लिए भी प्रत्याशियों को राजनीतिक दलों के वोट बैंक का सहारा है। स्थिति ऐसी है कि सभासद का चुनाव लड़ने वाले कई धुरंधर नामांकन पत्र प्राप्त कर पार्टी से बतौर प्रत्याशी स्वीकृति मिलने की ताक में है। फिलहाल भाजपा, कांग्रेस, सपा व बसपा समेत क्षेत्रीय दलों की ओर से किसी ने भी अपने चेयरमैन व सभासद पद के उम्मीदवारों के नाम सार्वजनिक नहीं किया है। ऐसे में इंतजार का एक-एक पल भावी प्रत्याशियों पर भारी पड़ रहा है। फिलहाल पार्टी द्वारा प्रत्याशी चयन में ही कईयों की उम्मीदें टूट जाएगी और जो बचेंगे चुनावी रण में अपना भाग्य आजमाएंगे। पुराने लोगों की माने तो नगर निकाय के वार्ड सभासद जैसे चुनाव में पार्टी का दखल व उस पर आश्रित होना स्थानीय नेताओं के कमजोर व्यक्तित्व प्रदर्शित करता है। जनता को ऐसे राजनेताओं के चुनाव से पहले स्थानीय मुद्दों व नगर एवं वार्डों के विकास पर जरूर विचार करने की जरूरत है।
-Shamshad Ansari, Chandauli