Young Writer, चंदौली। तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट आदि के सेवन से कैंसर सहित तमाम बीमारियां शरीर को जकड़ लेती हैं। इनके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बेहद कमजोर पड़ जाती है। तम्बाकू से उत्पन्न इसी समस्या को देखते हुए लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 31 मई को तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष पर्यावरण बचाएं थीम निर्धारित की गयी है।
सीएमओ डा. वाईके राय ने बताया कि तंबाकू एवं इससे बने पदार्थों का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही ज्यादा नुकसानदायक है। धूम्रपान करने वाले अपने साथ ही आस-पास रहने वालों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। क्योंकि धूम्रपान करने वाले के फेफड़े तक केवल 30 फीसद धुआं पहुंचता है। बाकी 70 फीसद धुआं निकटतम लोगों को प्रभावित करता है। बीड़ी-सिगरेट पीने अथवा अन्य किसी भी रूप में तम्बाकू का सेवन करने वालों को करीब 40 तरह के कैंसर और 25 अन्य गंभीर बीमारियों की चपेट में आने की पूरी संभावना रहती है। इसमें मुंह व गले का कैंसर प्रमुख हैं। कहा कि बीड़ी-सिगरेट व तम्बाकू छोड़ने के फायदे भी बहुत हैं। धूम्रपान बंद करने के 12 मिनट के भीतर उच्च हृदय गति और रक्तचाप में कमी आ सकती है। वहीं 12 घंटे बाद रक्त में मौजूद कार्बन मोनो आक्साइड सामान्य पर पहुंच जाएगा। जबकि दो से 12 हफ्ते में खून का प्रवाह और फेफड़ों की क्षमता बढ़ जायेगी। इस तरह जहां शरीर निरोगी रहता है। कोरोना ने एक तरह से इस आपदा को कुछ मामलों में अवसर में भी बदलने का काम किया है। एसीएमओ व गैर संचारी रोग के नोडल अधिकारी डा. हेमंत कुमार ने बताया कि तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम 2003 का पालन करें या जुर्माने अथवा दण्ड का प्राविधान है। इसमें अर्थदंड अथवा कारावास दोनों हो सकता है। धारा-4 के तहत सार्वजनिक स्थान जैसे सभागृह, अस्पताल, भवन, रेलवे स्टेशन प्रतीक्षालय, मनोरंजन केन्द्र, रेस्टोरेन्ट, शासकीय कार्यालयों, न्यायालय परिसर, शिक्षण संस्थानों, पुस्तकालय, लोक परिवहन एवं अन्य कार्यस्थलों में धूम्रपान करना अपराध है। वहीं धारा-5 के तहत तम्बाकू उत्पादों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष विज्ञापन पर पूर्ण प्रतिबंध है। नियमों का पालन न करने पर 200 रुपये तक जुर्माना हो सकता है।
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अपने आसपास न करने दें धूम्रपान
चंदौली। राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के जिला सलाहकार डा. अभिषेक सिंह ने बताया कि अगर आप धूम्रपान नहीं करते हैं। लेकिन आपके आसपास कोई धूम्रपान करता है तो यह धुआं सिगरेट न पीने वाले के फेफड़ों में पहुंच जाता है। सेकंड हैण्ड स्मोकिंग का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव बच्चों और गर्भवतियों पर होता होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में लगभग 12 लाख लोगों की मृत्यु की वजह सेकंड हैण्ड स्मोकिंग है। इसलिए आज से ही संकल्प लें कि हम धूम्रपान एवं तम्बाकू उत्पाद का सेवन नहीं करेंगे। अपने बच्चों एवं समाज को तम्बाकू से दूर रखेंगे।