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Tuesday, July 8, 2025

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लम्पी के दिखे लक्षण तो पशु चिकित्साधिकारियों से कराएं पशुओं का ईलाज

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पशुपालकों की मदद और पशुओं के ईलाज के लिए चंदौली प्रशासन ने स्थापित किया कंट्रोल रूम

Young Writer, चंदौली। पशुओं में तेजी से फैल रही लम्पी बीमारी के प्रभावी रोकथाम एवं जागरूकता के सम्बंध में बताते हुए जिलाधिकारी ईशा दुहन ने पशुओं को लम्पी स्किन बीमारी से बचाने हेतु पशुपालकों  व जनसमान्य से अपील करते हुए कहा कि यदि किसी पशु में बीमारी के लक्षण दिखते हैं तो तत्काल निकटतम पशु चिकित्साधिकारी को सूचित करें। प्रभावित पशु को अलग रखे, प्रभावित पशु का आवागमन प्रतिबंधित करें। 

उन्होंने बताया कि लम्पी बीमारी एक संक्रामक रोग विषाणु जनित बीमारी है, जो गोवंशीय एवं महिषवंशीय पशुओं में पायी जाती है। वर्तमान में जनपद चंदौली के बाहर गोवंश जाने एंव चंदौली में बाहर से गोवंश आने पर पूर्णत्या प्रतिबन्धित कर दिया गया है। अतः रोग के रोकथाम हेतु कडाई से पालन सुनिश्चित करें। रोग का संचरण, फैलाव एवं प्रसार पशुओ में मक्खी, चिचडी एंव मच्छरों के काटने से होता है। बताया कि पशुओं में हल्का बुखार होना, पूरे शरीर पर जगह-जगह नोड्यूल व गाठों का उभरा हुआ दिखाई देना लम्पी बीमारी का लक्ष्ण है। इस बीमारी से ग्रसित पशुओं की मृत्यु दर अनुमान एक से पांच प्रतिशत है। इसके बचाव के लिए ) बीमारी से ग्रसित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए। पशुओं में बीमारी को फैलाने वाले घटकों की संख्या को रोकना अर्थात पशुओं को मक्खी, चिचडी एंव मच्छर के काटने से बचाने का प्रबंध होना चाहिए। पशुशाला की साफ-सफाई दैनिक रूप से करें तथा डिसइन्फैक्शन का स्प्रे करें। संकमित पशुओं को खाने के लिए संतुलित आहार तथा हरा चारा दे। मृत पशुओं के शव को गहरे गड्ढे में दबाया जाना। बताया कि आवंला, अश्वगन्धा, गिलोय एंव मुलेठी में से किसी एक को 20 ग्राम की मात्रा में गुड़ मिलाकर सुबह शाम लड्डू बनाकर खिलाये अथवा तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी, दालचीनी 05 ग्राम सोठ पाउडर 05 ग्राम, काली मिर्च 10 नग को गुड़ में मिलाकर सुबह शाम खिलाएं। संक्रमण रोकने के लिए पशु बाड़े में गोबर के कण्डे में गूगल, कपूर, नीम के सूखे पत्ते, लोबान को डालकर सुबह शाम धुआँ करें।  पशुओं के स्नान के लिए 25 लीटर पानी में एक मुट्ठी नीम की पत्ती का पेस्ट एंव 100 ग्राम फिटकरी मिलाकर प्रयोग करें। 

मवेशियों के खुले घाव का करें देशी उपचार

चंदौली। पशु चिकित्साधिकारियों ने बताया कि नीम के पत्ते एक मुट्ठी, तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी, मेहंदी के पत्ते एक मुट्ठी लेहसुन की कली 10 हल्दी पाउडर 10 ग्राम, नारियल का तेल 500 मिली को मिलाकर धीरे-धीरे पकाये तथा ठण्डा होने के बाद नीम की पत्ती पानी में उबालकर पानी से घाव साफ करने के बाद जख्म पर लगाये। किसी भी पशु में बीमारी होने पर नजदीक के पशु चिकित्सालय पर सम्पर्क करके उपचार कराये। किसी भी दशा में बिना पशु चिकित्सक के परामर्श के कोई उपचार स्वंय न करें। जनपद में लम्पी स्किन बीमारी सी बचाव हेतु पशुपालन के कर्मियों द्वारा अभियान चलाकर गोवंशीय पशुओं को टीका निःशुल्क लगाया जा रहा है। सहायता के लिए कंट्रोल रूम के नंबर- 05412262197, 9792961830 व 8840688479 सम्पर्क करें। 

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