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Tuesday, July 8, 2025

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खुशी के उड़ान ने रक्त समर्पित कर मनाया आजादी का अमृत महोत्सव 

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आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर 75 रक्तवीरों ने किया रक्तदान

Young Writer, डीडीयू नगर। जरूरतमंदों को रक्त की कमी न हो इसीलिए हमेशा जनसेवा को समर्पित संस्था खुशी की उड़ान ने जेएन ग्लोबल एकेडमी के सहयोग से इसका बीड़ा उठाया है। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में पंडित दीनदयाल नगर चंदौली में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सहयोग से  ब्लड डोनेशन कैम्प आयोजित कर आजादी की 75वीं वर्षगाँठ पर 75 रक्तवीरों के सहायता से रक्तदान कर जीवन को संरक्षित करने का कार्य किया। रक्तवीरो एवं वीरांगनाओं ने रक्तदान करते समय तिरंगा झण्डा हाथ मे लेकर स्वतंत्रता दिवस के पूर्व शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। रक्तवीरो ने कहा कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा यह कहने वाले और आजादी मांगने के लिए नेताजी तो नही है पर उनके इसी संकल्प को आत्मसात कर हम दूसरों के जीवन को आजादी से रखने का अवसर खुशी की उड़ान प्रदान करा रही है।

इस मौके पर संस्था की अध्यक्षा सारिका दुबे ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है। लेकिन करीब 75 प्रतिशत रक्त ही उपलब्ध हो पाता है, जिसके कारण लगभग 25 लाख यूनिट खून के अभाव में हर साल सैकड़ों मरीज़ों की जान चली जाती है। सवा अरब आबादी वाले भारत देश में रक्तदाताओं का आंकड़ा कुल आबादी का एक प्रतिशत भी नहीं है, जिसका एक बड़ा कारण है रक्तदान से जुड़ी जागरुकता का ना होना। 

इस अवसर पर सर सुंदरलाल अस्तपाल (BHU) के ब्लड बैंक प्रभारी प्रोफेसर संदीप कुमार ने लोगो को जागरूक करते हुए  कहा कि दुर्भाग्य का विषय यह है कि रक्तदान को लेकर बड़ी भ्रांतियां फैली हुई है, जैसे रक्तदान के वजह से कमजोरी होना,या शरीर का खून निकल पूरा निकल जाना जबकि सत्यता यह है कि रक्तदाता से एक बार में 350 मिली रक्त लिया जाता है जो शरीर में उपलब्ध रक्त का लगभग 15वां भाग होता है।  शरीर में रक्तदान के तत्काल बाद दान किये गये रक्त की प्रतिपूर्ति करने की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है तथा लगभग 24 घंटे में दान किये गये रक्त की प्रतिपूर्ति हो जाती है। 

रक्तदान कैम्प में खुशी की उड़ान संस्था के सदस्य व रक्तदाता।
रक्तदान कैम्प में खुशी की उड़ान संस्था के सदस्य व रक्तदाता।

वही संस्था के पदाधिकारियों अपील करते हुए सामुहिक रूप से अपील करते हुए कहा कि रक्तदान में सिर्फ पहली बार तक ही यह भ्रांतियां होती है, उसके साथ सारी भ्रांतिया ऐसे टूटती है जैसे कि कोई शीशा पत्थर पर गिरने से टूटता है शीशा तभी तक मजबूत है जब तक वह पत्थर से नही मिला रहता है ठीक उसी तरह रक्तदान करते समय हर एक बून्द हर क्षण भ्रांतियो को समाप्त करता है। इस अवसर पर चंद्रेश्वर जायसवाल‚ उपाध्यक्ष जनार्दन शर्मा, महासचिव देव जायसवाल, रितिक कुमार, अमित सिंह, डॉ आराधना सिंह,सुकन्या दुबे, सुदीक्षा दुबे, रितु खरवार, सुजीत सिंह, अमित गोस्वामी, साक्षी साहनी, संध्या गुप्ता, अनिल गुप्ता, चितेश्वर, विकास, आहिल उपस्थित रहे।

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