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Monday, February 3, 2025

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उद्घाटन के बाद जनता की पहुंच से दूर स्नानागृह

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Young Writer, चंदौली। जनपद समेत पूरे सूबे की जनता निवर्तमान हुई सरकार के कामकाज से खिन्न है। उसका गुस्सा हाल-फिलहाल उद्घाटित और लोकार्पित हुई परियोजनाओं व विकासपरक योजनाओं को लेकर है। जनता के आरोप हैं कि सरकार व जनप्रतिनिधियों ने परियोजनाओं के उद्घाटन व लोकार्पण के नाम पर छलने का काम किया है। इसके कई ज्वलंत उदाहरण भी लोगों ने गिनाॅएं। अब चाहे पर चंदौली स्थित अटल बिहारी वाजपेयी सेतु का लोकार्पण हो या फिर चंदौली जिला अस्पताल में बना स्नानागृह। इसके साथ ही कई छोटी-बड़ी परियोजनाएं जो लोकार्पित होने के बाद भी आमजन के प्रतिबंधित करके रखी गयी हैं। ऐसे में फजीहत तब होती है जब जनता व विपक्ष उसे आमजन को समर्पित करने का दबाव बनाने हैं। जैसा कि पिछले दिनों अटल बिहारी वाजपेयी सेतू पर देखने को मिला। फिलहाल अब बात करेंगे जिला अस्पताल परिसर में बने सार्वजनिक स्नानागृह की।

चंदौली जिला अस्पताल परिसर के पश्चिम द्वार से सटे बना स्नानागृह के गेट पर फिलहाल ताले लटक रहे हैं। विभागीय लोगों की माने तो इसका शुभारंभ तीन माह पूर्व ही विधायक साधना सिंह ने किया, जिसका गवाह बगल में लगा शिलापट्ट है। शिलापट्ट बता रहा है कि उक्त सार्वजनिक शौचालय, मूत्रालय एवं स्नानागृह का निर्माण कार्य विधायक निधि योजना के तहत वर्ष 2019-2020 के अंतर्गत पूरा किया गया है, जिसका शुभारंभ साधना सिंह द्वारा किया जाना भी दर्शित है। वहीं कार्यदायी संस्था के रूप ग्रामीण अभियंत्रण विभाग चंदौली का नाम अंकित है। यानी विधायक निधि के उक्त प्रस्तावित काम को ग्रामीण अभियंत्रण विभाग ने मुकम्मल किया। मुक्कल शब्द इसलिए लिखा जा रहा है क्योंकि कार्य पूरा नहीं होता तो शुभारंभ का शिलापट्ट वहां नहीं लगता। अब सवाल यह है कि उद्घाटन के बाद उक्त सेवा को सर्वसमाज के सुपुर्द क्यों नहीं किया गया। यदि किसी तरह की अड़चन थी तो उसे तीन माह की लम्बी अवधि में दूर क्यों नहीं किया गया। देखा जाए तो इस लापरवाही के लिए विधायक साधना सिंह, कार्यदायी संस्था ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग भी जिम्मेदार है, क्योंकि उक्त परियोजना को स्वास्थ्य विभाग के अहाते में मूर्त रूप दिया गया है। ऐसे में यदि वहां प्रतिदिन आने वाले दो हजार लोग यदि शौचालय, मूत्रालय व स्नानागृह के इस्तेमाल से अब तक वंचित है तो इसके लिए सीधे तौर पर ये तीनों इकाईयां बराबर की जिम्मेदार हैं। जिनकी लापरवाही के कारण जनता के पैसे से जनता के लिए बना स्नानागृह, शौचालय व मूत्रालय, जन समर्पित होने के बाद भी जनता की पहुंच से दूर है। ऐसे में विधानसभा चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधियों से जनता इन मुद्दों को लेकर सवाल करती नजर आए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

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