चंदौली। नौगढ़। जनपद चन्दौली का सृजन हुए करीब 24 वर्ष का समय ब्यतीत हो जाने पर भी वनांचल वासियों को आज तक जिला मुख्यालय तक परिवहन के रोडवेज बसों का संचालन नहीं किया गया है। ऐसे में नौगढ़ के पहाड़ी इलाकों में निजी वाहन संचालन डग्गामार वाहनों पर जमकर ओवरलोडिंग कर रहे है जिससे यात्रा करने वाले लोगों की जान सांसत में रहती है। चुनाव में जनप्रतिनिधि आते हैं, लेकिन चुनाव बीतने के बाद नौगढ़ को चंदौली मुख्यालय सहित अन्य इलाकों से जोड़ने के लिए परिवहन की सुविधाएं देने से मूकर जाते हैं। ऐसे में नौगढ़वासियों को आज भी रोडवेज बसों के संचालन की दरकार है, जिससे लोगों को काफी धन व समय अपब्यय कर भूंसो की तरह ठूंस करके जान हथेली पर लेकर के डग्गामार वाहनों पर सवार होकर के नौगढ से चकिया के बीच की पहाड़ियों का उतार चढाव करने के बाद मुगलसराय पहुंचते हैं इसके बाद जिला मुख्यालय चंदौली जाना पड़ता है। ऐसे में लोगों का पूरा दिन बर्बाद हो जाता है। हालात ऐसे होते हैं उसी दिन नौगढ़वासियों की घरवापसी मुश्किल हो जाती है। जबकि यह क्षेत्र जब जनपद वाराणसी में समाहित रहा तब नौगढ से बनारस तक तीन बड़ी बसों का संचालन नियमित समयानुसार होता आ रहा। वर्ष 1997 मे जनपद चन्दौली का सृजन होने से 36 वर्ग किलोमीटर वाले वनांचल क्षेत्र के रहनुमाओं मे आश जगी थी कि सरकार आवागमन की सुविधाओं में विस्तार करेगी। लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि का इस ओर आवाज प्रबल नहीं होने से नतीजा सिफर ही रहा।
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एक दिन के काम में लग जाते हैं तीन दिननौगढ़। नक्सल प्रभावित नौगढ़ क्षेत्र के गहिला, जमसोत, नरकटी, सुखदेवपुर, सेमर साधोपुर, बरबसपुर, बकुलघट्टा, रहमानपुर, काशीपुर, कुबराडीह, बरवाडीह, गढवां, धौठवां, हरियाबांध, चमेरबांध, भूलई, चुप्पेपुर आदि गांववासियों को न्यायालय या अन्य विभागीय कार्यों के लिए एक दिन पूर्व ही घर से चलकर नौगढ में रात्रि प्रवास फिर अगले दिन अलसुबह ही डग्गामार वाहनों में सवार होकर चकिया होते हुए मुगलसराय पहुंचते है वहां से चन्दौली मुख्यालय जाना होता है, जहां पर पहुंचते पहुंचते दोपहर का समय हो जाता है। जिसकी पुनरावृत्ति वापसी के दौरान भी करनी पड़ती है, जिसमें धन व समय का व्यय करने के बाद भी भोजन तक की काफी असुविधाओ का सामना करना पड़ता है।