Young Writer, इलिया। क्षेत्र के बरियारपुर ग्राम स्थित प्राथमिक विद्यालय में बच्चों की शिक्षा को लेकर शिक्षक गंभीर नहीं है। मंगलवार को विद्यालय खुलने के बाद जहां कक्षाओं में शिक्षा की अलख जगनी चाहिए, वहीं गुरुजन की लापरवाही के कारण बच्चे कक्षाओं में खेलते मिले। वहीं विद्यालय खुलने के बाद सुबह 8 बजे एकमात्र शिक्षामित्र विद्यालय पहुंचे और जाते ही कुछ देर तक कुर्सी पर बैठने के बाद वह सो गए और खर्राटे मारते रहे। जबकि विद्यालय में पहुंचे लगभग आधा दर्जन बच्चे इधर-उधर खेलते रहे।
अभिभावकों का आरोप है कि शिक्षकों की लापरवाही के चलते विद्यालय में पढ़ाई नहीं हो पा रही है, जिससे बच्चे धीरे-धीरे विद्यालय आना छोड़ दिये हैं। ग्रामीण बताते हैं कि सिर्फ मिड डे मील के तहत मिलने वाले भोजन के समय बच्चे विद्यालय पहुंच जाते हैं और भोजन करने के बाद फिर घर को लौट चलते हैं। विद्यालय में शिक्षकों को बच्चों की पढ़ाई से कोई लेना देना नहीं है। कहने को तो यहां सात स्टाफ है जिसमें धीरेंद्र प्रताप सिंह प्रधानाध्यापक के अलावा 3 सहायक अध्यापक तथा 3 शिक्षामित्रों की नियुक्ति है, जबकि सोमवार को विद्यालय खुलने के बाद सुबह 8 बजे तक मात्र शिक्षामित्र विनोद कुमार पहुंचकर विद्यालय खोलने के बाद कुर्सी पर बैठकर सो गए। वहीं 140 बच्चों में मात्र 6 बच्चे ही विद्यालय में मौजूद रहे। ऐसी स्थिति में नौनिहालों को शिक्षा देने की बात यहां पूरी तरह बेमानी साबित हो रही है प्रदेश सरकार प्राथमिक स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की तर्ज सभी व्यवस्थाएं कर रही है। कायाकल्प योजना के तहत प्राथमिक विद्यालयों को अप टू डेट कर सभी सुविधाएं मुहैया कराए जाने के लिए शासन द्वारा लाखों लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। बावजूद प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। स्थिति यह है कि यदि शिक्षामित्र ना रहे तो विद्यालयों में पढ़ाई की बात तो दूर शायद विद्यालयों का ताला भी ना खुलता। इस संदर्भ में खंड शिक्षा अधिकारी अरविंद यादव का कहना है कि विद्यालय में इस तरह के शिकायत की जानकारी उन्हें नहीं है यदि ऐसा हो रहा है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।