रोहाखी के कोटेदार ने बहुओं के नाम जारी करा दिया राशनकार्ड, पत्नी का नाम भी शामिल
Young Writer, इलिया। सार्वजनिक वितरण प्रणाली गरीबों के कल्याण का एक सशक्त जरिया है, जिससे गरीबों के भूख को मिटाने का बंदोबस्त सरकार की ओर से किया गया है। इसके सबसे निचली इकाई यानी कोटेदार इस पूरे तंत्र का सबसे अहम किरदार निभाते हैं। लेकिन इनका किरदार हमेशा सवालों के घेरे पर रहता है। अब बात करें शहाबगंज ब्लाक क्षेत्र के रोहाखी के कोटेदार की। जिसके कंधे पर गांव के गरीबों को राशन वितरण का जिम्मा है। वह इतना असहाय व निरीह है कि उसके अपने एक पुत्र व पत्नी को जहां पात्र गृहस्थी योजना अंतर्गत राशन देनी पड़ रही है, वहीं दूसरे बहू व बेटे को अंत्योदय योजना से लाभान्वित करना पड़ रहा है। यह बात आपको हास्यास्पद लगेगी, लेकिन विभागीय वेबसाइट पर दर्ज राशन के विवरण को देख आपको यकीन हो जाएगा। हालांकि पास-पड़ोस के ग्रामीणों की माने तो कोटेदार की सम्पन्नता में कोई कमी नहीं है। इनके घर के कोने-कोने में लक्ष्मी का वास है।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि कोटेदार प्रभुनारायण पांडेय, जो घर-सम्पत्ति से काफी मजबूत हैं। ऐसी कौन-सी विवशता आन पड़ी कि उनके पुत्रों को गरीबों के लिए बनी अंत्योदय व पात्र गृहस्थी योजना अंतर्गत राशन कार्ड लेकर पिता के कोटे से सरकारी राशन का उठान करना पड़ रहा है। फिलहाल इसके बारे में कोटेदार प्रभुनारायण पांडेय ही बता पाएंगे। लेकिन असल सवाल यह है कि उनके पुत्रों का नाम राशन में दर्ज कैसे हुआ? इसके बारे में आपूर्ति विभाग की भूमिका संदेह के घेरे में है। क्या इनके पुत्रों के आवेदन-पत्र को स्वीकार कर राशन कार्ड जारी करते समय संबंधित कर्मचारियों ने विभागीय कार्यवाही ठीक ढंग से मुकम्मल किया। यदि हां तो उन्होंने कोटेदार प्रभुनारायण पांडेय की बहू पूजा पांडेय पत्नी अभिषेक पांडेय को पात्र गृहस्थी व दूसरी बहू ज्योति पांडेय पत्नी अखिलेश पांडेय को अंत्योदय राशन कार्ड कैसे जारी कर दिया? फिलहाल इसका जवाब विभागीय अफसर व कर्मचारी ही दे पाएंगे। लेकिन कोटेदार पुत्रों का नाम राशन कार्ड में दर्ज होना और गांव के तमाम गरीबों का नाम दर्ज होने से वंचित रह जाना पूरी वितरण व्यवस्था पर बड़ा सवाल है। पात्र गृहस्थी राशन कार्ड में कोटेदार की पत्नी उषा का नाम दर्ज है, जिन्हें प्रभुनारायण की पत्नी की जगह बहू दर्शाया गया है, ताकि इस पर सवाल ना हो। यह अप्रत्यक्ष रूप से गरीबों को निःशुल्क व उचित दर पर मिलने वाली खाद्य सामग्री, नमक व तेल आदि योजनाओं पर डांका है जो खुलेआम डाला जा रहा है। इस जिला पूर्ति अधिकारी देवेंद्र सिंह ने बताया कि यदि परिवार संयुक्त है और आर्थिक रूप से सम्पन्न है तो ऐसा नहीं होना चाहिए यह नियम विरूद्ध है। इस प्रकरण की जांच कराई जाएगी। मामला सही पाए जाने पर उचित कार्यवाही अमल में लायी जाएगी।