नरौली गंगा घाट पर बढ़ाव जारी रहा तो कइयों जल समाधि ले लेगा कईयों का आशियाना
Story Credit अबुल खैर खुशहाल
Young Writer, धानापुर। गंगा के जलस्तर में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। जैसा कि बारिश के दिनों में अमूमन देखने को मिलता है। गंगा की लहरें अब नरौली घाट पर बसे गरीब ग्रामीणों के आशियाने की दहलीज तक पहुंच गयी है। लहरों की दस्तक से निषाद समाज के बाशिंदों की चिंताएं बढ़ गयी है। यदि नदी घाट की ओर बढ़ी तो उन्हें अपना घर-दरवाजा छोड़ना होगा। कईयों के आशियाने ऐसी स्थिति में है कि गंगा की लहरें टकराई तो उनके मकान जल समाधि ले लेंगे। अपना आशियाना खोने की चिंताओं से ग्रामीण अभी से चिंतित व परेशान है।
विदित हो कि नरौली गंगा घाट पर कटान के कारण सैकड़ों एकड़ कृषि योग्य भूमि व कई लोगों का आशियाना गंगा की धारा में समा चुका है। कटान रोकने के लिए गरीब ग्रामीणों ने आवाज बुलंद की, लेकिन उनकी आवाज को किसी ने आगे बढ़ाने का प्रयास नहीं किया। स्थानीय कई संगठनों ने कटान के मुद्दों को मजबूती से पटल पर लाने का प्रयास किया और संघर्ष भी किए, लेकिन आश्वासन की बूते उसे भी दबा दिया गया।



नरसिंह निषाद।

आज के हालात को देखते हुए नरौली निवासी जगदीश निषाद, बनारसी निषाद, नरसिंह निषाद, मन्नू निषाद ने कहा कि कटान से हम सभी का बहुत कुछ छिन चुका है। यदि अब भी कुछ नहीं किया गया तो हम सभी का सब कुछ छिन जाएगा। स्थानीय लोगों ने गंगा कटान एक गंभीर विषय है जिसे राजनीतिक मुद्दा बनाने मात्र से समस्याएं हल नहीं होगी। इसके लिए जनहित के भाव काम करने की जरूरत है।
गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ने से तटवर्ती गांवो के ग्रामीण दहशत में
चहनियां। गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सोमवार की रात में 12 सेंटीमीटर जलस्तर बढ़ा है। बलुआ घाट पर लगा गंगा आरती के सामानों को गंगा सेवा समिति के लोग सुबह से ही हटाने में लगे रहे। तटवर्ती गांवो के ग्रामीणों में दहशत ब्याप्त है।
गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सोमवार को रात भर में 12 इंच और जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है। सात दिनों में करीब 15 फ़ीट जलस्तर बढ़ा है। बलुआ स्थित पश्चिम वाहिनीं गंगा घाट पर बना मन्दिर का कुछ हिस्सा ही डूबने से बचा है। गंगा घाट पर गंगा आरती के लिए बना गंगा आरती मंच, लाइट्स, स्पीकर आदि समान को गंगा सेवा समिति के अध्यक्ष दीपक जायसवाल ने उखाड़कर सुरिक्षत स्थान पर रखवा दिया। गंगा तट के किनारे बसे गांव कांवर, महुअरिया, बिसुपुर, महुआरी खास, सराय, बलुआ, डेरवा, महुअर कला, हरधन जुड़ा, विजयी के पूरा,गणेश पूरा, टाण्डाकला, बड़गांवा, तीरगांवा, हसनपुर, नादी निधौरा आदि गांवो के किसानों व ग्रामीणों को गंगा कटान की चिन्ता सताने लगी है। अब तक उक्त गांवो के किसानों की हजारो एकड़ उपजाऊ जमीन गंगा में समाहित हो चुकी है।