वन भूमि पर अतिक्रमण कर आबाद हो रहे लोग
Young Writer, Naugarh: रेशम फार्म बना पशुओं का तबेला बन गया है। जहां पर विभागीय उदासीनता के चलते कोआ उत्पादन तो नाकाफी हो रहा है। बल्कि अर्जुन के पेड़ो व आरक्षित वनभूमि मे अतिक्रमणकारी आबाद होते जा रहे हैं। लोगों को रोजगार व रेशम विभाग को आय अर्जन किए जाने के लिए जयमोहनी पोस्ता, भरदूआ, जयमोहनी भूर्तिया, सोनवार व अमराभगवती के समीप की आरक्षित वनभूमि को लीज पर लिए जाने के बाद से कोआ उत्पादन का कार्य तो वर्षों पूर्व शुरू हुआ।
लेकिन सहायक निदेशक रेशम की शह पर अर्जुन के पेड़ों की अवैध रूप से कटाई तथा भूमि पर अतिक्रमण निर्बाध रूप से जारी है। जिससे सरकार की मंशा के अनुरूप कोआ उत्पादन का कार्य प्रभावित होता जा रहा है। क्षेत्र की मिट्टी व जलवायु कोआ उत्पादन के अनुरूप होने से वर्ष 1990 के दशक में काशी वन्य जीव प्रभाग रामनगर के जयमोहनी व मझगाई वन रेंज के आधिपत्य वाली सैकड़ों एकड़ आरक्षित वनभूमि को रेशम कीट (कोआ उत्पादन) किए जाने के लिए रेशम विभाग को दी गई। जिसमें युद्ध स्तर पर अर्जुन के पौधों को रोपित करके रेशम विभाग कार्य शुरू कर दिया, जिससे क्षेत्र के श्रमिकों को बढिया आय अर्जन हो जाया करता था। जिसपर अतिक्रमणकारियों की नजरें ईनायत होने के बाद से निरंतर भू भाग सिमटता ही जा रहा है। अमराभगवती व देवदतपुर के बीच अवैध रूप से अतिक्रमित रेशम विभाग के अधीन वाली भूमि पर से बेदखली की कार्यवाही पूर्व जिलाधिकारी हेमंत कुमार की मौजूदगी में वन विभाग व पुलिस प्रशासन ने किया था। जिस पर अवैध कब्जा यथावत हो गया। सहायक विकास अधिकारी रेशम द्रारा अभिलेखों में हर वर्ष रेशम कीटों का विकास करने की कार्यों का फर्जी उल्लेख करके काफी राजकीय धन का दोहन किया जा रहा है। भाजपा मंडल अध्यक्ष भगवान दास अग्रहरी ने आरोप लगाते हुए बताया कि रेशम कीट उत्पादन मे अब तक ब्यय की गई राजकीय धनराशि व मौके का स्थलीय परीक्षण किए जाने पर सारी कलई खुल जाएगी। जिसमें रेशम विभाग के जिम्मेदारानो द्रारा किए गए लूटखसोट का पर्दाफाश हो जाएगा।