कर्मनाशा पार के आधा दर्जन से गांवों तक नहीं पहुंची विकास की किरण
Young Writer, नौगढ़। नौगढ़ अपने आप में कई अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता को अपने आप में समेटे हुए है। यहां मानव व वन्य जीव एक-दूसरे के बीच जीवन जीने के संतुलन को बनाए हुए है। जनपद के अन्य हिस्सों के साथ नौगढ़ का भी विकास तेजी से हो रहा है, लेकिन दुर्गम पहाड़ियों में बसे कई ऐसे मानव आबादी वाले इलाके हैं, जहां आज भी विकास की किरण पहुंचते-पहुंचते मंद हो जाती है। ऐसे में लोग हर दिन अपने जीवन को एक संघर्ष के रूप में जीते चले आ रहे हैं। अब बाद करें कर्मनाशा पार के आधा दर्जन से अधिक गांवों की तो यहां की आबादी आजादी के बाद एक अदद पक्के पुल का इंतजार कर रही है और इस इंतजार में सात दशक बीत गए और यही हाल रहा तो आठवां दशक भी बीत जाएगा। यह पुल इन आधा दर्जन से अधिक गांव के लोगों के कितना मायने रखता है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिस दूरी को ग्रामीण जलमार्ग से 10 मिनट में पूरी कर लेते हैं। उसे फिलहाल सड़क मार्ग से पूरा करने में 12 किलोमीटर गणेश परिक्रमा करनी पड़ती है।
नौगढ़ की शांत वादियों में चुनाव के शोर व सरगर्मी के बीच जब कैमरे की नजर नौगढ़ स्थित चंद्रकांता किले के बगल से बह रही कर्मनाशा नदी के तट पर गयी तो यह देखा गया कि ग्रामीण अपने साइकिल व सामान आदी को नाव पर लादकर नदी पार करने की तैयारी में है। जब करीब आकर उनके गतंव्य और जल यात्रा के बारे में जानने का प्रयास किया गया तो ग्रामीणों ने अपनी बातों से अपनी पीड़ा को भी बयां कर दिया। कहा कि कोठीघाट, मंगरही, शाहपुर, जमसोत, सुखदेवपुर, गहिला, पथरौ होरिला आदि गांव के ग्रामीण कर्मनाशा नदी को नाव के सहारे पार कर आवागमन करने के लिए विवश है क्योंकि नदी पर पक्का पुल नहीं बन पाया है। इस कारण पूर्व माध्यमिक, हाईस्कूल-इंटर व उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इन इलाके के विद्यार्थियों को काफी कठिनाई हो रही है। बताया कि जान जोखिम में डालकर ग्रामीणों का आवागमन होता है। यदि कोई गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो जाए तो उन्हें दवा-ईलाज के लिए खाट पर लेकर आना पड़ता है। खासकर गर्भवती महिलाओं को महिलाओं को प्रसव पीड़ा होने पर चारपाई पर लेटाकर परिजन कंधों के सहारे लाकर कर्मनाशा नदी को नाव करते हैं, तब जाकर एंबुलेंस सेवाएं इन ग्रामीणों को मुहैया हो पाती है। बताया कि सबसे विषम स्थिति बरसात के दिनों में उत्पन्न हो जाती है जब कर्मनाशा नदी में जलस्तर बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में नाव से आवागमन करना जान जोखिम में डालने जैसा हो जाता है। यदि कर्मनाशा नदी पर चंद्रकांता किले के समीप पक्का पुल का निर्माण हो जाए तो हम सभी को बड़ी राहत होगी, लेकिन स्थानीय सांसद व विधायकों ने कभी ध्यान नहीं दिया और ना जिले के जिम्मेदार अफसरों को ग्रामीणों की यह गंभीर समस्या नजर आ रही है।
भाजपा के पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार ने किया निराश
नौगढ़। कर्मनाशा पार इलाके के मंगरही निवासी छोटेलाल खरवार 2017 में जब सांसद चुके गए, जो क्षेत्रीय लोगों में उत्साह के साथ ही विकास को लेकर बड़ी उम्मीदे जगी। लेकिन छोटेलाल खरवार ने अपने पांच साल के कार्यकाल में अपने गांव-इलाके के लोगों के बेहद हताश व निराश करने का काम किया। ग्रामीणों ने बताया कि हम सभी को यह उम्मीद थी कि सांसद रहते हुए छोटेलाल खरवार पक्का पुल का निर्माण जरूर करा देंगे, लेकिन इस इंतजार में पूरा का पूरा पांच साल गुजर गया और लोगों की आशा समय बीतने के साथ ही निराशा में बदल गयी है। फिलहाल चुनाव सिर पर है और लोग अंतिम समय में पूरी ताकत लगाए हुए हैं, लेकिन इन गांव के ग्रामीणों का साफ कहना है कि यह वोट उन जनप्रतिनिधि को देंगे जो उनकी सहूलियत के लिए कर्मनाशा नदी पर पक्का पुल बनाए। साथ ही कर्मनाशा पाल के इलाकों में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराए, जिससे ग्रामीणों को राहत मिल सके।