होलिका दहन से हर साल कई उपभोक्ताओं के जल जाते हैं विद्युत तार
Young Writer, पड़ाव। होली त्यौहार के मद्देनजर जगह-जगह होलिका की स्थापना अब अपने मूर्त रूप लेती जा रही है। 17 मार्च को होलिका दहन होगी। क्षेत्र में आधा दर्जन से ज्यादा जगह होलिका दहन के लिए विद्युत तार के नीचे सजाया गया है जिसके कारण हजारों की क्षति के साथ-साथ उक्त तार से संबंधित कनेक्शन लेने वाले उपभोक्ताओं को भी विद्युत के लिए झेलना पड़ता है। होलिका दहन की वजह से कुछ जगह के तार टूटकर गिर भी जाते हैं जिसे संबंधित कर्मचारी ठीक तो करते हैं लेकिन दो से तीन दिन भी लग जाता है जिससे सबसे ज्यादा उपभोक्ताओं को काफी झेलना पड़ता है।
क्षेत्र के पड़ाव-रामनगर मार्ग पर स्थित मछली मंडी के पास चौरहट के ग्रामीणों द्वारा दशकों से होलिका दहन करते चले आ रहे हैं। उक्त जगह को लेकर कुछ ग्रामीणों ने कहा कि इस जगह को हम बदल नहीं सकते हैं स्थानीय चौराहे पर भी तार के नीचे होलिका सजाई गई है ऐसा ही बहादुरपुर मार्ग पर सूजाबाद पानी टंकी के पास देखने को मिला, जबकि व्यासपुर भी कई दशक से होलिका दहन किया जाता है जिसके ऊपर विद्युत तार है जो हर वर्ष लगभग तार टूट कर गिर जाता है जिसका दूसरे दिन विद्युत कर्मियों द्वारा मरम्मत किया जाता है। कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि तार टूटकर तो नहीं गिरता है लेकिन इतना कमजोर हो जाता है कि कुछ दिन बाद तार टूटने के कारण घटना घटित होने का भय बना रहता है। ग्रामीणों का कहना है की होलिका तो ना जाने कितने वर्षों से इसी स्थान पर जलाया जाता है और विद्युत तार तो कुछ वर्ष पहले खींचा गया है। सैदपुर भुजहूआ गांव में भी होलिका हनुमान मंदिर के पास विद्युत तार के नीचे सजाई गई है लेकिन ग्रामीणों की सजगता से संबंधित कर्मचारियों को बुलाकर तार को हटा दिया जाता है और दूसरे दिन जोड़ दिया जाता है, वहीं इस संबंध में संबंधित अवर अभियंता संतोष कुमार ने बताया कि होलिका दहन से पहले तार को खोल कर लगभग सभी जगहों पर से हटा दिए जाएंगे जिससे घटना और छति से बचा जा सके।