जीत की हैट्रिक के साथ सैयदराजा विधानसभा की खितमत कर रहे विधायक सुशील सिंह

Young Writer, चंदौली। हार एक बड़ी सबक है जो जीत का ऐसा आधार है जिसे सकारात्मक दृष्टिकोण से सहर्ष स्वीकार किया जाय तो जीत आपके कदमों में होगी। इसके लिए लक्ष्य के प्रति एकाग्रता, कड़ी मेहनत, जिद्द और जुनून की जरूरत है। यह मात्र किताबी बातें नहीं, बल्कि वास्तविकता है। इनसे रूबरू होना है तो आप सैयदराजा विधायक सुशील सिंह से मीलिए। उनका व्यक्तित्व में ऊपर लिखे एक-एक अल्फाज की सच्चाई व वास्तविकता से आप स्वतः रूबरू हो जाएंगे। जिन्होंने 2002 में जीत की दहलीज पर मिली हार को स्वीकार किया और उस दहलीज को पार करने का जुनून अपने दिल में पाला। उनका जुनून व कड़ी मेहनत का नतीजा है कि आज वह जीत की हैट्रिक के साथ अब तब उनकी ‘विजय’ अजेय है।
विधायक सुशील सिंह ने यूपी की 15वीं विधानसभा में धानापुर विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया और 16वीं में सकलडीहा विधानसभा क्षेत्र की सफल अगुवाई कर वर्तमान में यूपी की 17वीं विधानसभा में सैयदराजा की जनता की सेवा में जुटे हैं। इस दौरान उन्होंने वैचारिक मतभेद के कारण दल बदला, लेकिन उनका लक्ष्य आज भी अडिग है। आंकड़े बताते हैं कि जैसे-जैसे उनका राजनीतिक जीवन परिपक्व होता गया उनकी जीत दिन प्रतिदिन शानदार होती गयी। अपने राजनीतिक अनुभव व उम्दा कामकाज से जनता में अपने व्यक्तिगत विश्वास को मजबूत करते चले आ रहे हैं। आज सुशील सिंह पूर्वांचल की राजनीतिक के एक ऐसी शख्सियत के रूप में स्थापित हो चुके हैं जिनके बारे में यह कहा व सुना जाता है कि वह किसी भी स्थान से कोई भी चुनाव किसी दल या निर्दल लड़ने व उसे जितने का माद्दा रखते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी लोकप्रियता चंदौली व उनके मूल निवास स्थल वाराणसी के साथ आसपास के जनपदों में अच्छी खासी है। उन्होंने अपने राजनैतिक कैरियर में हमेशा वैचारिक विरोध को स्थान दिया और सकारात्मक राजनीतिक की। यही वजह है कि आज उनका नाम, मजबूत व कद्दार नेताओं में शुमार है।



…कुछ ऐसा रहा सुशील सिंह का राजनीतिक सफर
चंदौली। सैयदराजा विधायक सुशील सिंह के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि वह छात्र जीवन से राजनीति में रूची रखते हैं। उन्होंने कभी छात्र संघ का चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन वह छात्र राजनीति में पर्दे के पीछे हमेशा सक्रिया भूमिका अदा करते रहे। उन्होंने विद्यापीठ के चुनावों में सहयोगी की भूमि अदा की। इसके बाद वे 2000 में जिला सहकारी बैंक वाराणसी के डायरेक्टर का चुनाव लड़ा व जीता। यह उनकी पहली जीत थी। इसके बाद 2002 में धानापुर विधानसभा क्षेत्र से बतौर बसपा उम्मीदवार चुनाव लड़े। उन्होंने इस चुनाव को पूरी शिद्दत से लड़ा और शानदार नतीजों के साथ जीत के करीब पहुंचे, लेकिन परिणाम उनके पक्ष में नहीं आ सके। उन्होंने इस चुनाव को सकारात्मक रूप से लिया। उनकी माने तो जनता ने उन्हें सम्मानजनक मत दिया और उनके प्रति अपने भरोसो को प्रदर्शित किया। इसी भरोसे ने उनके विश्वास को अडिग बनाया। इसके बाद उन्होंने धानापुर को अपनी कर्मभूमि बनाया और पूरी शिद्दत के साथ जनसेवा में जुटे रहे। आगामी विधानसभा चुनाव 2007 में कुशल चुनाव प्रबंधन व जन समर्थन के बूते उन्होंने शानदार जीत अर्जित की। 2012 में परिसीमिन में परिवर्तन के बाद उनकी कर्मस्थली सकलडीहा बनी, जहां चुनाव के ऐन वक्त पर बसपा ने वैचारिक मतभेदों के साथ उन्हें टिकट से वंचित कर दिया। ऐसे में उन्होंने अपने व्यक्तिगत विश्वास के बल पर चुनाव लड़ने जैसा साहसिक कदम उठाया और कड़ी मेहनत की। नतीजा रहा कि उन्होंने पिछली जीत से भी शानदार व बड़ी जीत रही। सुशील सिंह इस जीत को अपने जीवन की सबसे शानदार जीत बताते हैं। उनका कहना है कि यह जीत मेरे व्यक्तिगत विश्वास की जीत है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसे बिना किसी एजेंडे, पार्टी के मजबूत प्लेटफार्म के अपने व्यक्तिगत काम व मेहनत के दम पर अर्जित किया गया था। बाकी जो भी चुनाव जीता उसमें व्यक्तिगत के साथ-साथ पार्टी के विश्वास का बल था।

कैसा रहेगा 2022 का विधानसभा चुनाव
चंदौली। सैयदराजा विधायक सुशील सिंह का मानना है कि हर चुनाव की अपनी चुनौती और एक अलग तरह का संघर्ष होता है। यह चुनाव भी पिछले चुनाव से अलग होगा। चुनाव की चुनौतियों को स्वीकार कर उन तमाम बाधाओं ने जनविश्वास के बल पर पार किया जाएगा। 2012 में निर्दल चुनाव में 69 हजार से अधिक मतदाताओं का विश्वास मेरे साथ था, जो 2017 में बढ़कर 79 हजार से अधिक हो गया, जबकि मैंने अपने पुरानी विधानसभा से इतर नवसृजित सैयदराजा विधानसभा से लड़ा। फिर भी लोगों का भरोसा न केवल मुझ पर कायम रहा, बल्कि उसमें अच्छा-खासा इजाफा हुआ। इसी इजाफे को बनाए रखना मेरा लक्ष्य है। यह चुनाव मेरे लिए एकतरफा है, लेकिन किसी भी चुनाव की चुनौती को मैंने कभी हल्के में नहीं लिया। लिहाजा इसके भी पूरी जिम्मेदारी व शिद्दत के साथ लड़ा जाएगा। कहा कि आगाजी जीत के साथ सैयदराजा के विकास की नई इबारत लिखी जाएगी, ताकि जनता के भरोसे को अपने कर्तव्यों के निर्वहन से और प्रगाढ़ कर सकूं।

