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Tuesday, July 8, 2025

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जनता के बीच कब नजर आएंगे प्रदेश व राष्ट्रीय ओहदे वाले सपा नेता

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चंदौली के 50 से अधिक नेताओं को प्रदेश व राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मिल चुकी है जिम्मेदारी
Young Writer, चंदौली। समाजवादी पार्टी निवर्तमान सरकार में सबसे मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाकर अब जीत के लिए प्रबल राजनीतिक दल के रूप में उभरी है। हाल फिलहाल के दिनों में समाजवादी पार्टी ने मुख्य संगठन के साथ-साथ अपने फ्रंटल संगठनों का गठन एवं उसका विस्तार किया और यह विस्तार आज भी जारी है। आज भी चंदौली के किसी न किसी नेता के नाम को घेरते हुए सपा के किसी न किसी संगठन के गठन की सूची फेसबुक वाल टंकी नजर आ जाएगी। इसके पीछे कहीं न कहीं सपा का विधानसभा चुनाव को लेकर अपने कुबने को विस्तार देने के साथ ही उसे सशक्त बनाने की योजना है। सपा के संगठन बनाओ, संगठन बढ़ाओ योजना से चंदौली के 50 से अधिक युवा, छोटे-बड़े व वरिष्ठ नेता-राजनेता लाभान्वित हुए और पद पाकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। लेकिन जनता के बीच इन नेताओं की सक्रियता पर इन दिनों सवाल उठ रहे हैं।
विधानसभा चुनाव-2022 का शंखनाद हो चुका है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिन नेताओं, राजनेताओं व युवाओं को समाजवादी पार्टी ने प्रदेश व राष्ट्रीय में जगह देकर अलग-अलग पदों का दायित्व सौंपा है उनकी सक्रियता जनता के बीच नहीं दिख रही है। सपा के कुछ बड़े कार्यक्रमों को पृथक कर दिया जाए तो सपा के खद्दरधारी और लग्जरी वाहनों से लैस राष्ट्रीय व प्रदेश सचिव एवं उपाध्यक्ष टाइप के नेता नजर नहीं आ रहे हैं। सपा के सूत्र बताते हैं कि जिन नए पदाधिकारियों को समाजवादी पार्टी ने सम्मान, मान व जिम्मेदारियां सौंपी है। हाल-फिलहाल वह शिथिल पड़े हैं। उनकी सक्रियता का आलम यह है कि वह अपने गांव-मोहल्ले में सक्रिय नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी के जनाधार में जन को जोड़ने की मुहिम का कमजोर होना स्वाभाविक दिख रहा है। चूंकि मामला प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों का लिहाजा जिला इकाई के मुखिया व अन्य पदाधिकारी भी इसमें हस्तक्षेप करने से खुद को बचा रहे हैं। लेकिन हालात ऐसे ही रहे तो सिर्फ सपा के घोषणा-पत्रों, सत्ता के प्रति जनता की नाराजगी और अखिलेश यादव के एकल व्यक्तित्व के बूते सपा के चंदौली में चुनाव जितने व सत्ता में लौटने के सपने साकार होते नजर नहीं आ रहे हैं। फिलहाल चंदौली में 10 फरवरी से नामांकन की प्रक्रिया गतिमान हो जाएगी। अब देखना यह है कि प्रदेश व राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह पाकर खुद को कद्दावर नेता मान बैठे चंदौली के सपाइयों की सक्रियता कब जागृत होती है, लेकिन उनकी निष्क्रियता की चर्चाएं संगठन में खूब हो रही है। बूथ स्तरीय कार्यकर्ता इन नेताओं की सुस्ती से काफी दुखी नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक संगठन का एक-एक घटक पूरी तरह से क्रियाशील व पार्टी के प्रति समर्पित नहीं होगा तो विधानसभा चुनाव की चुनौति को जीत में बदल पाना सपा प्रत्याशियों के लिए वाकई दुरूह व चुनौतिपूर्ण बना रहेगा।

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