योगी-मोदी के नाम पर जनता को भरोसे में लेने वालों की दावेदारी को शीर्ष नेतृत्व ने किया खारिज
Young Writer, चंदौली। भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने कौतूहल का विषय बनी मुगलसराय व चकिया विधानसभा सीट पर प्रत्याशियों के नाम पर अंतिम मुहर लगा दी है। इसके साथ ही उन चेहरों पर मायूसी छा गयी जो भाजपा से टिकट मिलने और अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थे। मुगलसराय विधायक साधना सिंह व चकिया विधायक शारदा प्रसाद अपने जनसम्पर्क, जनसंवाद में बात-बात पर योगी-मोदी के नाम लेकर पिछले पांच साल से जनता को भरोसे में लेते आ रहे थे। लेकिन इनके बात-व्यवहार व आमजन के बीच मौजूदगी से ये दोनों विधायक भाजपा शीर्ष नेतृत्व का भरोसा जीतने में नाकाम रहे हैं। देखा जाए तो यह भी इन दोनों नेताओं की एक अप्रत्यक्ष हार है, जो बिना लड़े ही इनके हिस्से में डाल दी गयी है।
अब ये विधानसभा चुनाव में मुख्य सक्रिय धारा से खुद को अभी से पृथक महसूस कर रहे हैं। हालांकि इसकी उम्मीद न तो विधायक व उनके समर्थकों को थी और ना ही आमजन ही यह अनुमान लग सका कि गत दिनों मुगलसराय में आयोजित वैश्य समाज और उनके सम्मेलन में कहीं गयी बातों को भाजपा शीष नेतृत्व इतनी गंभीरता से लेगा और मुगलसराय विधानसभा से नेतृत्व की कमान वैश्य समाज के एक सशक्त व बेदाग छवि के नेता रमेश जायसवाल के हाथों में सौंपने की कार्यवाही एकाएक लम्बे इंतजार के बाद मुकम्मल हो जाएगी। फिलहाल इस फैसले से पूरा का पूरा वैश्य समाज गदगद है और भाजपा शीर्ष नेतृत्व के फैसले को शानदार बता रहे हैं। भाजपा प्रत्याशियों की सूची सोशल मीडिया पर सार्वजनिक होने के साथ ही मुगलसराय विधानसभा क्षेत्र के वैश्य समाज के लोग उत्साहित व ऊर्जा से ओत-प्रोत नजर आए। शाम ढलते ही चाहे वह चंदौली का बाजार हो या फिर बबुरी या मिनीमहानगर मुगलसराय का बाजार वैश्य समाज के उत्साह, उमंग से एक-एक चेहरा लबरेज नजर आया। उधर, दूसरी ओर मुगलसराय विधायक साधना सिंह व चकिया विधायक शारदा प्रसाद के समर्थकों में मायूसी देखने को मिली। विधानसभा चुनाव में उनकी मौजूदगी व गैरहाजिर होना उनकी नाराजगी को प्रदर्शित करेगा। हालांकि अब विधायकगणों के खेमे से किसी तरह की कोई क्रिया-प्रतिक्रिया पटल पर नहीं आयी है, लेकिन पूरा का पूरा भाजपा संगठन संघर्ष के लिए तैयार नजर आ रहा है।