धानापुर की घटना के बाद अल्पसंख्यक समाज में दिखा आक्रोश
Young Writer, धानापुर। धानापुर शहीद स्मारक द्वार की यह तस्वीर भाजपा के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के जुमले को करारा तचामा है। यदि यह कहा जाए कि बुधवार को धानापुर स्थित शहीद स्मारक स्थल पर हुई इस घटना ने भाजपा के इस खोखले जुमले की बुनियाद को हिलाकर रख दिया है तो यतिश्योक्ति नहीं होगी। इससे एक बार फिर भाजपा से जुड़ने का मिजाज बना रहा अल्पसंख्यक समाज भाजपा से कटने की सोच को सशक्त करने को विवश होगा।
दरअसल यूपी सरकार के मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डा. इफ्तिखार अहमद जावेद बुधवार को शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए धानापुर शहीद स्मारक पहुंचे। उनके पहुंचने के बाद स्मारक कमेटी के लोग जो वहां की देख-रेख का जिम्मा संभाले हुए हैं उनसे स्मारक गेट की चाभी मांगी गयी। लेकिन किन्हीं कारणों से कमेटी के लोगों ने चाभी देने से साफ इन्कार कर दिया। कमेटी ने ऐसा क्यों व किन परिस्थितियों में किया यह स्पष्ट नहीं हो पाया। लेकिन काफी इंतजार के बाद जब स्मारक की चाभी नहीं मिली तो डा. इफ्तिार अहमद जावेद गेट पर ही माला अर्पित कर शहीदों के सम्मान में शीश नवाकर लौट गए। इस घटना से जहां उनके साथ आए लोगों में जबरदस्त आक्रोश था, वहीं कस्बा सहित आसपास के अल्पसंख्यक समाज के लोगों में गुस्सा देखने को मिला। कुछ लोग ने नाम न छापने की शर्त कमेटी पर बड़ा आरोप मढ़ा। कहा कि कमेटी जाति, पार्टी आदि देखकर शहीद स्मारक में एंट्री देती है। जब भाजपा सरकार के अंग व मदरसा कमेटी के चेयरमैन को शहीदों के सम्मान का मौका नहीं दिया गया, तो आम अल्पसंख्यक के साथ कैसा बर्ताव होगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।