नए नेताओं को मौका मिलने व पुराने नेताओं के सम्मान की बढ़ी संभावनाएं
चंदौली। हालिया चुनाव में समाजवादी पार्टी को लगातार मिली हार और असफलताओं की गाज रविवार को संगठन के अहम ओहदे पर बैठे पदाधिकारियों पर गिरी। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय, राज्य व जिला के साथ महानगर इकाईयों को भंग कर दिया है। अब संगठन का गठन नए सिरे से होगा। सपा का प्रयास होगा कि संगठन को नए सिरे से गठित कर फिर से पार्टी को सशक्त एवं संगठित बनाया जाए। फिलहाल अखिलेश यादव के फैसले से पूरे संगठन में उथल-पुथल, उहापोह व चर्चाओं का बाजार गर्म है। कुछ जहां संगठन में पद प्राप्त करने के अपने प्रयासों को पंख देने में जुटे हैं, वहीं पहले से संगठन की बागडोर संभाले लोग अपने ओहदे को बनाए व बचाए रखने की भूमिका गढ़ने व रचने में जुट गए है। फिलहाल पार्टी के इस निर्णय से नए चेहरों को महत्वपूर्ण पद एवं दायित्व मिलने की संभावनाएं प्रबल हुई है, वहीं कुछ पुराने नेताओं का कद और ओहदा भी बढ़ाए जाने की चर्चाएं संगठन में शुरू हो गयी है।
विदित हो कि सकारात्मक माहौल के बावजूद समाजवादी पार्टी विधानसभा चुनाव-2022 में सत्ता वापसी करने में विफल रही। इसके बाद से ही समाजवादी पार्टी हाईकमान चुनाव में मिली हार की वजह और संगठन में लगातार हो रही सेंधमारी को तलाशने में जुट गयी। इसी बीच एमएलसी चुनाव में भी समाजवादी पार्टी को करारी हार झेलनी पड़ी। जिसमें कई नेताओं के संगठन विरोधी कृत्य भी पटल पर आए। ऐसी स्थिति में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने संगठन की ओवरहालिंग के अपने निर्णय पर रविवार को अंतिम मुहर लगा दी। राजनीतिक जानकारों की माने तो आज नहीं तो कल सपा को यह फैसला लेना ही था। फिलहाल सभी इकाइयों के भंग होने की खबर जैसे ही चंदौली जनपद की सरहद में पहुंची एक अशांत करने वाली खलबली संगठन के लोगों में मची। हालांकि यह खलबली आपसी चर्चाओं व पार्टी के इस निर्णय को पुष्ट करने तक ही सीमित रहा और पटल तक नहीं आ सका। संगठन के लोगों की माने तो अब संगठन अपने राजनीतिक कौशल व नेतृत्व क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए पद प्राप्ति की लालसा पाले नेताओं के लिए अवसर सृजित हुआ है, वहीं पुराने नेता भी अपनी कुर्सी को बचाए रखने में अपने राजनीतिक पकड़ व अनुभव के सदुपयोग में जुट गए हैं। फिलहाल नए संगठन का सृजन व उसका ढांचा कैसा होगा यह समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के निर्णय के उपरांत ही स्पष्ट हो पाएगा। लेकिन फिलहाल समाजवादी पार्टी में इस वक्त चर्चाएं जोरों पर है।