Young Writer, चंदौली। सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के जनसभा में सपा नेताओं के बीच रार-तकरार और बहुत कुछ देखने और सुनने को मिला। यहां मंच पर चढ़ने जैसी छोटी बात को लेकर पार्टी के बड़े-बड़े नेता आपस में भिड़ते-लड़ते दिखे। यह सबकुछ समाजवादी पार्टी के जिला स्तरीय पदाधिकारियों के समक्ष हुआ और वे मूकदर्शक की भूमिका में नजर आए। हालांकि इस चुनावी जन सभा से समाजवादी पार्टी को जितना फायदा होना चाहिए, उससे कहीं ज्यादा नुकसान की बातें खुद समाजवादी पार्टी के नेता कहते हुए सुने गए। कुछ नेताओं ने यहां तक कहा कि चुनावी प्रचार की कमान वह खुद छोड़ रहे हैं।
समाजवादी पार्टी के कार्यक्रम में मौजूद सपा नेताओं ने कहा कि पार्टी में मानमानी के कारण पालीटेक्निक कालेज में अव्यवस्था रही। जिस कारण पार्टी फ्रंटल संगठन के अध्यक्षों के साथ ही कई वरिष्ठ सपाईयों को मंच पर चढ़ने नहीं दिया गया। इसमें कुछ नेता ऐसे भी थी जो विगत कई दिनों से तपती दोपहरी में पार्टी प्रत्याशी के जीत के लिए पसीना बहा रहे थे, लेकिन समाजवादी पार्टी के तथाकथित पदाधिकारियों की उपेक्षा व मनमानी के कारण कई युवा और वरिष्ठ नेता बेहद खफा है। सूत्र बताते हैं कि मंच पर चढ़ने को लेकर पार्टी नेताओं में रार-तकरार के साथ ही शब्दों के आदान-प्रदान के आगे की भी चीजें हुई, जो किसी भी संगठन के लिए ठीक नहीं हो सकता है। हालांकि इसे चुनावी सभा से बाहर जाने से रोकने का भरपूर प्रयास किया, लेकिन जिन लोगों ने इस घटना को देखा वे बेहद आहत नजर आए। कुछ नेता इतने आहत व मर्माहत नजर आए कि उन्होंने स्वतः ही चुनाव प्रसार के दायित्व से खुद को मुक्त करने जैसा कठोर निर्णय भी ले लिया।
इन नेताओं को मंच पर जाने का नहीं मिला मौका
चकरू यादव, चंद्रभान यादव, छोटू तिवारी, राम सिंह चौहान, आनंद सिंह रंजन, परवेज अहमद जोखू, त्रिलोकी पासवान, अमरनाथ जायसवाल, अखिलेश्वर यादव, दिलीप पासवान, चंद्रभान यादव, मधु
राय,वीरेंद्र प्रधान ,चखन यादव,शशिकांत भारती,राधा यादव,टोनी खरवार,रमेश यादव,वीरेंद्र यादव, अयूब खान गुड्डू,जल्लालू अंसारी,महेंद्र माही।