सपा प्रत्याशी जितेंद्र कुमार के प्रत्याशी बनने के बाद उत्साहित दिख रहे वरिष्ठजन
Young Writer, शहागबंज। ऐसा लग रहा है चकिया विधानसभा क्षेत्र के लोगों की एक अप्रत्यक्ष मांग को समाजवादी पार्टी ने स्वीकार कर लिया है। और इस मांग की पूर्ति के साथ ही चकिया के मतदाताओं में चाहे फिर वह युवा हो, प्रौढ़ हो या बुजुर्ग। हर उम्र के लोग में उल्लास, उत्साह व चुनाव को लेकर उमंग में नजर आ रहा है। पूर्व विधायक जितेंद्र कुमार के प्रत्याशी बनने की घोषणा के साथ चकिया विधानसभा के लोग गदगद हैं। ऐसी बातें सम्पूर्ण आवाम के लिए नहीं कही जा सकती, लेकिन ऐसे लोग बहुसंख्यक है जो समाजवादी पार्टी से ताल्लुक रखते हैं तो कुछ सीधा जितेंद्र कुमार से। खैर! उत्साह इस कदर है कि वह सारी सीमाएं पार गया है। हालांकि सरकारी नियम-कायदे की मर्यादाएं अभी भी बची है। युवाओं का बात-बात में उत्साहित होना तो आम बात है, लेकिन उन बुजुर्गों का उत्साह समाज को एक नया संकेत व संदेश दे रहा है जो अपने उम्र के अंतिम पड़ाव की ओर अग्रसर हैं। बावजूद उसके इन दिनों उनके अंदर युवाओं जैसा जोश नजर आ रहा है।

इन बुजुर्गों ने समाजवादी पार्टी ने चकिया विधानसभा से पूर्व विधायक जितेंद्र कुमार का बतौर प्रत्याशी घोषणा की। इसके साथ ही आपस में एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर मुंह-मीठा किया। साथ ही गली-मोहल्ले में हंसी-ठिठौली करते हुए पड़ोसियों व अन्य लोगों का मुंह मीठा करते दिखे। अमूमन ऐसा तभी होता है जब घर में किसी नए मेहमान का आगमन हो या फिर घर के किसी सदस्य ने बड़ी कीर्ति व उपलब्धि अर्जित कर ली हो, लेकिन यहां मामला और माहौल दोनों राजनीतिक था और ये बुजुर्गे उसी राजनीतिक रंग में रंगे व रमे नजर आ रहे हैं। इन वरिष्ठ नागरिकों का उत्साह कहीं न कहीं समाजवादी पार्टी को राहत देने के साथ ही जीत की जद्दोजहद को मुकाम देने वाला था। फिलहाल जश्न के साथ जीत की तैयारियों का खाका बुना जा रहा है। जिसमें बुजुर्गों व युवाओं का एक जबरदस्त तालमेल नजर आ रहा है। कई चुनाव और उसके हार-जीत के परिणाम को देख चुके बुजुर्ग अपने अनुभव युवा नेताओं के बीच साझा कर रहे हैं ताकि वह पुरानी रणनीति को आधार बनाकर जीत की नई इबारत को लिख सकें।

युवाओं व बुजुर्गों का यह संयोग और गठजोड़ मतदान तिथि तक कायम रहा तो यह संभावित है कि समाजवादी पार्टी चकिया में नया इतिहास कायम करने के करीब होगी। हार-जीत कितनी होनी है, नहीं होनी है यह भविष्य की बातें है, लेकिन उसे लेकर वर्तमान में जो चर्चा-परिचर्या और तैयारियों का दौर चल रहा है वह कहीं न कहीं सरकार के प्रति असंतोष, आम आदमी के जीवन में मचे कोलाहल और दुश्वारियों को झेलते आ रहे आम आदमी की पीड़ा का एक मिश्रित आघात है जिसे आम मतदाता मतदान तिथि को वोट के मरहम से मिटाने के लिए छटपटा रहा है। फिलहाल हवा नयी है और अबकी बार चुनावी रण में बहुत कुछ नया होने जा रहा है जिसके साक्षी नए युवा मतदाताओं के साथ उत्साह से लबरेज वह सभी बुजुर्ग मतदाता भी होंगे, जो कई दशक से चुनाव के हार-जीत के परिणाम और उसके प्रभाव को देखते व झेलते आ रहे हैं।
