खुरहट में वृद्धा की शिकायत में झलका वादाखिलाफी का दर्द
मनोज सिंह डब्लू को अपने बीच पाकर वृद्धा बनवासी देवी ने अपनी पीड़ा को रखा
Young Writer, चंदौली। मां संवेदना का सागर है, वात्सल्य की प्रतिमूर्ति है, जो खुद तो कष्ट झेलती है लेकिन अपने बच्चों को दुख-तकलीफ से दूर रखती है। लेकिन जब यही मां खुद उपेक्षित होकर असहाय हो जाती है तो उसके आंख से निकले आंसू के एक-एक बूंद तीर से भी ज्यादा चुभन देते है। क्षेत्र के खुरहट में गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण कार्यक्रम में एक ऐसी मां की पीड़ा आंखों से झर-झर बहने लगी तो असहाय थी और उसे उपेक्षा से सताया गया था। इस बीच जब सपा के राष्ट्रीय सचिव मनोज कुमार सिंह डब्लू ध्वजारोहण करने के लिए उक्त बस्ती में गए तो उस मां ने अपनी पीड़ाएं पटल पर रखी। सरकारी तंत्र व राजनेताओं के वादाखिलाफी के प्रति अपना आक्रोश जाहिर किया। ऐसे में वृद्ध मां को रोता देख मनोज सिंह डब्लू भी अपनी संवेदनाओं पर काबू नहीं रख पाए।
उन्होंने पीड़ित मां के पेंशन, आवास व सड़कों पर बहते नाले की समस्या को विधायक बनते ही दूर करने का भरोसा दिया। साथ ही मां को मजबूत संबल लेते हुए खुरहट गांव के विकास का संकल्प लिया। कहा कि मुसई बाबू के नाम पर खुरहट में जल्द विकास की नई इबारत लिखी जाएगी। दरअसल मनोज सिंह डब्लू गणतंत्र दिवस पर आयोजित बस्तिवासियों के कार्यक्रम में शरीक होने गए थे, जहां मौजूद आवाम में वृद्धा बनवासी देवी 65 वर्ष उठी और उन्होंने मनोज सिंह डब्लू से संवाद शुरू कर दिया। उन्होंने खुरहट समेत आसपास के ग्रामीण इलाकों के विकास से बात शुरू की और आवास, पेंशन तथा नाली के पानी की निकासी जैसी बुनियादी समस्याओं को सपा नेता के समक्ष रखा। साथ ही पिछले बार गांव आए नेताओं की वादाखिलाफी को भी याद दिलाया।
कहा कि कोई जाति के नाम पर तो कोई भरोसे के नाम पर वोट लेकर चला गया, लेकिन विकास की बात आज भी अधूरी है। लोग आते हैं चंद रुपयों के कंबल बांटकर आमजन के हमदर्द होने का दिखावा करते हैं। कहा कि कंबल एक दिन फट जाएगा, लेकिन बात नहीं फटनी चाहिए। यह कहते हुए उक्त वृद्धा बनवासी देवी मनोज सिंह डब्लू से लिपट कर रोने लगी। गणतंत्र दिवस कार्यक्रम का यह नजारा राष्ट्रीय एकता के संदेश के साथ-साथ वात्सल्य के प्रेम में रंगा नजर आया और जब मनोज सिंह डब्लू ने अपने संक्षिप्त बातों में सिर्फ इतना कहा कि मुसई बाबू के नाम पर विकास का जिम्मा वह लेते हैं तो पूरी की बस्ती तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी। अंत में उन्होंने वृृद्धा बनवासी देवी के साथ ही वहां मौजूद तमाम वृद्ध माताओं से इस कार्य और जिम्मेदारी के निर्वहन के लिए आशीष भी मांगा। इस अवसर पर पारसनाथ बिन्द, विश्वनाथ कवि, लल्लन बिन्द, मंसूर अंसारी, अखिलेश सिंह, राजू सिंह, सुनील यादव, शोलू सिंह, राहुल मौर्य, सोनू सिंह, अमित उपाध्याय, रामजी सिंह, रिंकज सिंह, गणेश गुप्ता, सुबाष यादव, किशन कुमार आदि उपस्थित रहे।