विनय कुमार वर्मा द्वारा लिखित पुस्तक ‘सफल जीवन के सूत्र’ का हुआ लोकार्पण
young Writer, मुगलसराय। राष्ट्रीय चेतना प्रकाशन के प्रकाशक विनय कुमार वर्मा की पुस्तक ‘सफल जीवन के सूत्र’ का लोकार्पण मुगलसराय के होटल स्प्रिंग स्काई में रविवार को हुआ। इस दौरान मुख्य अतिथि TV-9 भारतवर्ष के डायरेक्टर व वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय हेमंत शर्मा ने पुस्तक का लोकार्पण किया।
उन्होंने कहा कि सुंदर उक्तियों की ही सूक्ति कहते हैं। सूक्तियां जीवन की सार होती हैं। बड़ी बातों को चंद शब्दों में कह दिया जाए‚ वही सूक्ति होती हैं। सूक्तियां पढ़ते ही मन झंकृत हो उठता है। विनय कुमार वर्मा द्वारा रचित सूक्तियां जीवन के हर आयामों से उठाई गई हैं, निश्चित रूप से इन सूक्तियों को पढ़ने से मन की नकारात्मकता व असफलता के भाव दूर होंगे। उन्होंने कहा कि रचनात्मकता का यह कारवां और आगे बढ़ना चाहिए।
पूर्वांचल विकास निगम के उपाध्यक्ष दीन दयाल उर्फ दयालु ने कहा कि काशी साहित्य और संस्कृति की नगरी है । यहां से हर विधा में जो कुछ भी रचना होती है उसका संदेश पूरे देश को जाता है।
पुस्तक के लोकार्पण के दौरान अपने विचार व्यक्त करते डा. उमेश प्रसाद सिंह। लोकार्पण समारोह में डा. उमेश प्रसाद सिंह को सम्मानित करते आयोजक समिति के सदस्य।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जाने-माने ललित निबंधकार डा.उमेश प्रसाद सिंह ने कहा कि विनय कुमार वर्मा ने जो सूक्तियां लिखी है उन्होंने उन्हें खुद भी जिया है। ‘सफल जीवन के सूत्र’ पुस्तक देने से पूर्व उन्होंने खुद के जीवन को सफलता के ऊंचाई पर स्थापित किया है । उन्हें हक है कि वे अपने अनुभव को सूक्ति के रूप में समाज को प्रदान करें।
प्रसिद्ध गजलकार शिवकुमार पराग ने कहा कि सूक्ति वही लिख सकता है जो जीवन के हर संघर्षों से परिचित हो। विनय वर्मा के बारे में जितनी जानकारी मिली है उससे समझ में आता है की इनके अनुभव का दायरा कितना विस्तृत है। इनके सूक्तियों के संग्रह से समूचे समाज को लाभ मिलेगा।

प्रसिद्ध आलोचक डा. रामप्रकाश कुशवाहा ने कहा कि विनय कुमार वर्मा की शिक्षा, कार्य, समाज सेवा, साहित्य सेवा आदि देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि चतुर्दिक अनुभवों को उन्होंने अपने सूक्तियों में पिरोया है। निश्चित रूप से इससे समाज को लाभ मिलेगा।
प्रसिद्ध गीतकार ओम धीरज ने कहा कि विनय वर्मा के सूक्ति संग्रह को मंत्र की तरह जीवन में उतारने की आवश्यकता है। अगर इन सूक्तियों को मंत्र किस तरह जीवन में उतार लिया जाए तो सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार एल उमाशंकर‚ डा. शैलेंद्र सिंह, दीनानाथ देवेश, अरुण आर्य, रामजी प्रसाद भैरव, राकेश रोशन, विनोद कुमार गुप्ता, इंद्रजीत शर्मा, समर बहादुर यादव, आशाराम यादव, सुरेश जायसवाल आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। संचालन कथाकार डा. अनिल यादव व अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम संयोजक विष्णुकांत अग्रवाल‚ प्रमोद सिंह समीर तथा धन्यवाद ज्ञापन लेखक व प्रकाशक विनय कुमार वर्मा ने किया।
