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Monday, July 7, 2025

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इंसान को पतन से बचाने वाली कारक है पत्नीः संतदास

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Young Writer, चहनियां। क्षेत्र के मारूफपुर स्थित बाबा कीनाराम मठ रामशाला परिसर में आयोजित सात दिवसीय संगीत मय श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन शनिवार को अयोध्या के संतदास महाराज ने ध्रूव चरित्र की कथा सुनाई। श्रोताओं से कहा कि मनु शतरूपा के पुत्र उत्तानपाद जिनकी दो रानियां सुनीति धर्मपत्नी सुरूचि कामपत्नी के रूप में है। जीव की भी वही दशा है। जब वह मां के गर्भ में होता है तो सिर नीचे पैर ऊपर रखकर उतान रहता है। जब बाहर आता है तो सिर ऊपर पैर नीचे रखकर उतान रहता है। सुनीति बुद्धिमानी तो सुरूचि मनमानी की प्रतीक है। जब हम मनुष्य सुनीति से प्रेम करेंगे तो उत्थान के पथ पर अग्रसर होंगे। जबकि सुरूचि से प्रेम करने पर पतन की ओर अग्रसर होंगे। सुनीति का लाल ध्रूव अपनी माता के बताये मार्ग और दिए संस्कार से बैकुण्ठ धाम को प्राप्त किया। वहीं सुनीति का पुत्र अपनी कर्मगति को प्राप्त हुआ अर्थात सुरूचि वर्तमान में सुख देती है जबकि सुनीति भविष्य सुधारती है। उन्होंने कहा कि ध्रूव कथा से यह बात निकलकर आती है कि पतन से सुरक्षित रखने वाली महत्वपूर्ण कारक पत्नी है। उन्होंने अनेक उदाहरणों देते हुए कथा का रसपान कराया। कथा श्रवण में मुख्य रूप से तिलकधारी शरण दास, सूबेदार मिश्र, राममूरत पाण्डेय, जयशंकर मिश्र, जगदीश पांडेय, सन्तोष पांडेय, मनोज पांडेय, राधेश्याम यादव, हरिओम दुबे, प्रवीण पाण्डेय, अनिल यादव, रमाशंकर यादव, सुरेश पाण्डेय, विवेक दास उपस्थित रहे।

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