चंदौली। इमाम हुसैन का जिक्र और मजलिस का मकसद इस्लाम की सही तस्वीर दुनिया के सामने पेश करने की कोशिश है। आज पूरी मुसलमान बिरादरी फ़िरक़ों में बंट कर रह गई है। रसूले अकरम मोहम्मद मुस्तफ़ा का लक्ष्य एकजुटता थी उन्होंने कबीलों में बंटे हुए अरबों को एक उसूल पर क़ायम कर एक क़ौम बना कर दुनिया को सच का पैगाम दिया। इस्लाम का पैगाम इंसानियत का पैगाम है और इंसानियत सिर्फ़ किरदार की पाकीज़गी से इंसान में आती है। उक्त बातें शुक्रवार को नगर स्थित डा. एसए मुजफ्फर के आवास पर जारी मजलिसों के दौर में शुक्रवार को मौलाना अबू इफ्तेखार जैदी, मायल चंदौलवी, वकार सुल्तानपुरी, शहंशाह मिर्जापुरी समेत अलग-अलग वक्ताओं ने कही की।
उन्होंने कहा कि रसूलल्लाह की सारी तालीम सारा अमल इंसानियत बचाने के लिए था। इंसानियत के उसूलों का नाम इस्लाम है। और इंसानी उसूल की ताक़त इंसानों की एकजुटता से ही उभर कर सामने आती है। रसूल ने अपनी रिसालत के ज़रिये लोगों को एक साथ खड़ा किया तो बाद में मुसलमान दुनियां की लालच में आ कर फ़िरको में बटते चले गए और आज भी यह सिलसिला जारी है। लोग अपने फ़िरको को ले कर फ़ख्र करते हैं जबकि यह अफ़सोस की बात है। इमाम हुसैन की कुर्बानी की दास्तां बयान करते हुए मौलाना ने कहा कि ऐसा नहीं था कि इमाम हुसैन अपने साथ एक बड़ी फ़ौज नहीं ला सकते थे, जब वह मक्का से चले तो हजारों लोग उनके साथ थे, मगर इमाम हुसैन ने हर मंज़िल पर उन्हें आगाह किया कि, मैं किसी हुकूमत के लिए नहीं जा रहा हूँ मैं इस्लाम की हिफ़ाज़त में अपनी जान देने जा रहा हूँ, जो इसके लिए अपनी गर्दन कटा सकता है वह मेरे साथ चले। किसी अच्छे मक़सद के लिए जान देना आसान बात नहीं होती तो लोग कटते गये और कर्बला में इस्लाम को बचाने के लिए सिर्फ़ बहत्तर लोग ही नज़र आये। आज ज़रुरत है इस बात को समझने और उसपर अमल करने की कि हम क्या कर रहे हैं, क्या हम सच के साथ खड़े हैं या बातिल के लिए जंगो जदाल कर रहे हैं। अज़ाखाने रज़ा में इस मौके पर बनारस से आई अंजुमन अज़ाए हुसैन दोषीपुरा ने इमाम हुसैन के मातमी नौहे पेश किए। मुहर्रम की आठ तारीख रविवार अजाखाना-ए-रज़ा से अलम और ताबूत का जूलूस निकलेगा जिसमें जिले और आसपास की अंजुमनें हिस्सा लेगीं। मजलिस के बाद बनारस के दोषीपुरा से आई अंजुमने अजादारे हुसैनी और सिकंदरपुर की अंजुमन अब्बासिया ने नौहाख्वानी और मातमजनी करते हुए करबला के शहीदों को याद किया। इस दौरान सागर बनारसी, रौशन बनारसी, वसीम नेता, सरवर, दानिश, ताबिश, रियाज, साकिब जलालपुरी आदि लोग मौजूद रहे।