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कलेक्ट्रेट में एडीएम को ज्ञापन सौंपते विपक्ष के नेता।

चंदौली। संसद से 145 सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर विपक्ष शुक्रवार को सड़क पर नजर आया। इस दौरान कम्युनिष्ट पार्टी के साथ ही आम आदमी पार्टी व सपा नेताओं ने बिछियां धरनास्थल पर धरना दिया। साथ ही मोदी सरकार पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप मढ़ा। कहा कि नरेंद्र मोदी व अमित शाह तानाशाही कर रहे हैं। इसके बाद विपक्ष के नेता नारे लगाते हुए पैदल मार्च कर जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और वहां एडीएम अभय कुमार पांडेय को राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा।




इस दौरान पूर्व सांसद रामकिशुन यादव ने कहा कि लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करने का काम भारत की संसद करती है। सरकार के इशारे पर सांसदों को निलंबित किया जा रहा है। इससे बड़ा लोकतांत्रिक संकट देश में नहीं हो सकता। अपनी कमियों को छिपाने के लिए और सांसदों की आवाज को दबाने के लिए सांसदों का निलंबन किया जा रहा है। सैयदराजा के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ने कहा कि सत्ताधारी दल लोकतंत्र का गला घोंटकर मनमाने ढंग से संसद चला रहे हैं। यह काला दिन और काला सत्र होगा, जहां विपक्ष दल के नेताओं की बात नहीं सुनी जाती। सवाल उठाने पर निलंबित कर उन्हें बाहर कर दिया जाता है। ऐसे लोग अगर ज्यादा समय तक सत्ता में रहे तो लोकतंत्र को बर्बाद कर देंगे। यह सांकेतिक प्रदर्शन है, अगर हम लोगों की बातों को नहीं सुना गया तो और उग्र प्रदर्शन किया जाएगा। सपा जिलाध्यक्ष सत्यनारायण राजभर ने कहा कि भाजपा सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए सांसदों को निलंबित कर रही है. ताकि सदन में उनकी कुनीतियों गरीब, नौजवान, मजदूर के मुद्दे पर सवाल न उठा सके। इसके विरोध में प्रदर्शन किया जा रहा है और इंडिया गठबन्धन के लोग मांग कर रहे है की सभी सांसदों को निलंबन रद्द करते हुए उन्हें बहाल किया जाय। आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष संतोष पाठक ने कहा कि मोदी सरकार लोकतंत्र विरोधी है, मोदी सरकार तानाशाह हो गई है जब जब कोई नेता संसद में आवाज उठता है,उन्हें जेल भेज दिया जाता है। सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग करती है। इस दौरान समाजवादी पार्टी के चंद्र शेखर यादव, योगेंद्र यादव चकरु, मुसाफिर सिंह चौहान, बलिराम यादव, चंद्रभानु यादव, रमेश यादव, दिलीप पासवान, अशोक त्रिपाठी, अंजनी सिंह, अयूब खान गुड्डू, बाबूलाल यादव, ज्ञान पांडेय, अरविंद विश्वकर्मा, शशिकांत श्रवण कुशवाहा, गुलाबचंद्र मौजूद रहे।