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Tuesday, February 4, 2025

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साहित्य सेवा के लिए कुबेरनाथ ललित सम्मान से अलंकृत हुए डा. उमेश प्रसाद सिंह

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Young Writer, चंदौली। अपने ललित लेख से साहित्य की धरा को हरा-भरा बनाने वाले वरिष्ठ साहित्यकार डा. उमेश प्रसाद सिंह कुबेर नाथ राय ललित निबंध सम्मान से अलंकृत किए गए हैं। उन्हें यह सम्मान पड़ोसी जिला गाजीपुर के गहमर में आयोजित 7वां गोपाल राम गहमरी साहित्यकार सम्मेलन-2021 में साहित्य के प्रति उनके समर्पण, सहयोग व उनकी अग्रणी भागीदारी को देखते हुए दिया है। यह सम्मान चंदौली के तमाम साहित्यकारों के लिए खुशी व हर्ष का क्षण रहा। तमाम साहित्यकारों ने खखड़ा की धरा पर जन्मे डा. उमेश प्रसाद सिंह को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।

विदित हो कि डा. उमेश प्रसाद सिंह ललित निबंधकार है, जो जिनकी रचनाएं कई मसलन निबंध, लेख, समीक्षाएं आदि का प्रकाशन कई जाने-माने अखबारों के संपादकीय अंश के साथ-साथ पत्र-पत्रिकाओं व पुस्तकों के अंश में होता रहा है। जनसत्ता जैसे अखबार में इनका ललित चिंतन पिछले कई वर्षों से प्रकाशित हो रहा है। इसी तरह इन्होंने कई पुस्तकों व प्रकाशनों में संपादक, सहायक संपादन जैसी भूमिकाएं भी अदा की है और करते चले आ रहे हैं। इसके साथ ही स्वरचित दो दर्जन से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन भी हो चुका है, जिसमें यह भी सचह है कहानी संग्रह पुस्तक से शुरू हुआ पुस्तक प्रकाशन का सिलसिला आगे बढ़ते हुए क्षितिज के पार, यह उपन्यास नहीं है, हस्तिनापुर एक्सटेंशन, चलो, चले अपनी मधुशाला, स्वातन्न्योत्तर हिन्दी उपन्यास, दस दिगन्त, हारी हुई लड़ाई का वारिस, मैं क्यों लिखता हूं तक गया। इसके बाद उन्होंने बच्चों को सिर्फ गणित पढ़ाइये, हवा कुछ कह रही है, नदी सूखने की सदी में, भारत की नई राष्ट्रभाषा, मैं तुम्हारा पता नहीं जानता, रास्ते फिसल रहे हैं आदि शामिल हैं। इन्होंने अपनी रचनाओं से समाज को सही दिशा दिखाने का काम समय-समय पर किया। साथ ही साहित्य का मनाव जीवन में महत्व को बताने व समझाने का इनके द्वारा अपनी रचनाओं के माध्यम से निरंतर जाता रहा है। इन्होंने पूर्ण निष्ठा व आस्था के साथ साहित्य की सेवा करने का काम किया है। ऐसे में इन्हें गाजीपुर के गहमर में कुबेर नाथ राय ललित निबंध सम्मान से चंदौली सहित काशी के साहित्यकारों ने बधाईयां और खुशी जाहिर की। खुशी जाहिर करने वालें पुस्तक पथ के एल. उमाशंकर सिंह‚ राष्ट्रीय चेतना प्रकाशन के प्रकाशक डा. विनय कुमार वर्मा‚ रामजी प्रसाद भैरव आदि शामिल रहे।

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