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Saturday, July 5, 2025

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काशी में गंगा की लहरों के बीच ‘एक यात्रा केरल की‘ पुस्तक लोकार्पित

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पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में वाराणसी व चंदौली के दिग्गज साहित्यकारों की रही उपस्थिति
Young Writer, वाराणसी डेस्क। राष्ट्रीय चेतना प्रकाशन के प्रकाशक डा. विनय कुमार वर्मा द्वारा लिखित यात्रा वृत्तान्त पुस्तक “एक यात्रा केरल की” का लोकार्पण रविवार को काशी में गंगा की लहरों के बीच बजड़े पर हुआ। वाराणसी व चंदौली के दिग्गज साहित्यकारों की उपस्थिति में पुस्तक पर चर्चा भी हुई। सभी साहित्यकार प्रह्लाद घाट से बजड़े पर सवार हुए, तकरीबन तीन घंटे तक पुस्तक पर परिचर्चा हुई।

काशी में गंगा के लहरों के बीच बजड़े पर पुस्तक का लोकार्पण करते साहित्यकार।

मुख्य अतिथि अपर महाप्रबंधक, रेल विकास निगम लिमिटेड विजय कुमार मिश्र उर्फ ‘बुद्धिहीन’ ने कहा कि यात्रा वृत्तांत साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा है। उन्होंने बताया कि वे खुद अमेरिका की यात्रा के बाद यात्रा वृत्तांत लिखे थे। विशिष्ट अतिथि पूर्व डिप्टी कमिश्नर वाराणसी ओम धीरज ने कहा कि यह पुस्तक केरल राज्य का समुचित दर्शन कराती है। भविष्य के लिए भी यह पुस्तक काफी उपयोगी साबित होगी।
प्रसिद्ध साहित्यकार डा. इंदीवर ने कहा कि यात्रा वृत्तांत की चार आयाम होते हैं। पहला- आनन्द, दूसरा- दृष्टिबोध, तीसरा-रस संचार और चौथा – इतिहास, भूगोल व संस्कृति का भान। इस पुस्तक में उपरोक्त सभी आयाम उपलब्ध है। वरिष्ठ साहित्यकार डा. रामप्रकाश कुशवाहा ने कहा कि यात्रा वृत्तांत को यात्रा के तुरन्त बाद में लिखना ही श्रेयस्कर माना जाता है बाद में व केवल संस्मरण बन कर रह जाता है। कहा कि इस पुस्तक की उपयोगिता हमेशा बनी रहेगी।
वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी वाराणसी डा. संजय गौतम ने कहा यात्रा वृत्तान्त पुस्तक का लोकार्पण इस तरह बजड़े पर होना अपने आप में सुखद अनुभूति है। पूर्व प्राचार्य डा. अनिल यादव ने कहा कि विनय वर्मा में जानने की भूख है। ये कहीं भी जाते हैं तो उस स्थान के बारे में जानना चाहते हैं ।..और उससे भी अच्छी बात यह है कि जो जानते हैं वह सभी को बताना भी चाहते हैं। केरल यात्रा से वापस लौटने के बाद यह पुस्तक उसी का प्रमाण है।

काशी में गंगा के लहरों के बीच बजड़े पर पुस्तक परिचर्चा करते साहित्यकार।

अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डा. जितेंद्र मिश्र ने कहा कि इस यात्रा वृतांत में लेखक ने यह सिद्ध किया है वह आत्मश्लाघा से दूर हैं। इस पुस्तक में जितनी बातें जरूरी है उतनी है लिखी गई है। इस दौरान एल. उमाशंकर, सुरेंद्र वाजपेयी, केशव शरण, राजेन्द्र आहुति, प्रेम प्रकाश, दीनानाथ देवेश, अरुण आर्य, रामकृष्ण सहस्रबुद्धे, अजय चौबे, डा. वी साजु थॉमस ने पुस्तक पर अपने विचार व्यक्त किए। पुस्तक पर परिचर्चा में विषय प्रवेश सर्वप्रथम वरिष्ठ साहित्यकार रामजी प्रसाद ‘भैरव’ ने किया। पुस्तक के बारे में विस्तार से लेखक डॉ विनय कुमार वर्मा ने बताया साथ ही अभी अतिथियों का स्वागत किया। इस मौके पर दयाराम जायसवाल, राजेश कुमार‚ आशीष सिंह, अभिषेक सेठ‚ सत्यम वर्मा‚ फतेह खान आदि लोग उपस्थित थे। संचालन वरिष्ठ साहित्यकार डा. उमेश प्रसाद सिंह ने किया।

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