Young Writer, साहित्य पटल। रामजी प्रसाद “भैरव” की कविताएं
सारा का सारा इतिहास
यह समझना होगा कि
सारा का सारा इतिहास
मिट्टी में दफ़न नहीं होता
कुछ इतिहास लोगों की जुबान पर
पीढ़ी दर पीढ़ी
घूमता रहता है
कुछ इतिहास हवा में
धूल गर्द की शक्ल में तैरता है
और आंख की किरकिरी बन चुभता है
कुछ इतिहास
मौसमी फूल की तरह होते हैं
कुछ देर के लिए आते हैं
चर्चा बन छाए रहते है
फिर हवा के झोंकों संग उड़ जाते हैं
कुछ इतिहास सुबह
अखबार के पन्नों पर दमकते हैं
शाम होते होते कुम्हलाकर
रद्दी की टोकरी में चले जाते हैं
कुछ इतिहास सड़क पर
दाम दोगानी करते मिलेगें
ग्राहक मिला तो खबर है नहीं तो ढेला
कुछ इतिहास कानों कान
फुसफुसाहट की भाषा में
गिने चुने लोगों के बीच पहुँचते है
फिर कुछ देर होठों पर नृत्य कर
नेपथ्य में चले जाते हैं
इस तरह सारा का सारा इतिहास
मिट्टी में दफ़न नहीं होता ।
दमघोटू संगीत
संगीत ऊर्जा का स्रोत है
ऐसा मृतप्राय लोग भी महसूस करते है
मानव हृदय के सबसे करीब की ध्वनि है संगीत
धरती पर आते ही
मनुष्य जब पहली बार रोया
वह संगीत की किसी रिद्म से कम नहीं था
झूम उठे थे घर के लोग
थिरक उठे थे सबके पाँव
बुदबुदा उठे उत्सव के स्वर
बज उठे थे जाने कितने प्रकार के पारम्परिक वाद्य यंत्र
मनुष्य ने मुस्कुराना सीखा
गाना सीखा
नृत्य करना सीखा
संगीत उसका जीवन बन गया
वह गाता रहा
जीवन को लुभाता रहा
मगर एक दिन उसी कर्णप्रिय संगीत का स्थान
दमघोटू संगीत ने ले लिया है
किसी भी उत्सव में धड़ल्ले से
बज रहे हैं
कान फाड़ू और दमघोटू संगीत
जिसे सुनकर जीवित व्यक्ति भी
मृतक समान स्पंदन हीन हो जाय
हृदय की नौ रसों के पीयूष स्रोत
उसके धमक से सूख जाय
केवल हिलते और कूदते रहे
कुछ नरमुंड अपनी ठठरियों के साथ ।
जिनका सौभाग्य फूट गया है
जिनका सौभाग्य फूट गया है
वे खुल कर हँस नहीं सकते
किसी को हँसते खिलखिलाते देख
फट जाती है छाती
और एक मरियल सी आत्मा
ओढ़ लेती है चादर
जिसे सरोपा ढका होने का भरम पाले
उदास हतास एक विद्रूप सी मुस्कान
भटक जाती है
अपने ही चेहरे का रास्ता ।
जिनका सौभाग्य फूट गया है
वह जिंदा आदमियों के बीच
लाश की तरह होता है
उससे उठने वाली सड़ांध भरी गन्ध
जबरजस्ती सबके नथूनों में घुस कर
घुटन भरा परिवेश गढ़ जाती है
और लोग मुँह बिचका कर कन्नी काट जाते हैं ।
जिनका सौभाग्य फूट गया है
वह रिश्तों को तराजू पर तौलते हैं
दाम दोगानी करते हैं
बदकिस्मती तो देखिए इनकी
कीमती रिश्ते कौड़ियों के मोल बेच आते हैं
और निर्मूल्य रिश्तों को अमूल्य समझ
घर में सहेजते हैं ।
जिनका सौभाग्य फूट गया है
उनके कपड़ों की ओर मत देखिये
देखिए उनके जमीर को
जो जाने कब से मरा पड़ा है
मख्खियां भिनभिना रही हैं
और कुत्ता टांग उठा मूत कर चला जाता है ।
जिनका सौभाग्य फूट गया है
उनकी दहलीज पर दस्तक देकर देखिये
एक घुटन भरा सन्त्रास
हवा में घुला मिलेगा
मुस्कान जाफ़रानी हो
आँख चुराती मिलेगी
निर्वस्त्र हो चुकी इज्जत पर
बेबसी के टांके मिलेंगे ।
जीवन परिचय-
रामजी प्रसाद " भैरव "
जन्म -02 जुलाई 1976
ग्राम- खण्डवारी, पोस्ट - चहनियाँ
जिला - चन्दौली (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल नंबर- 9415979773
प्रथम उपन्यास "रक्तबीज के वंशज" को उ.प्र. हिंदी संस्थान लखनऊ से प्रेमचन्द पुरस्कार ।
अन्य प्रकाशित उपन्यासों में "शबरी, शिखण्डी की आत्मकथा, सुनो आनन्द, पुरन्दर" है ।
कविता संग्रह - चुप हो जाओ कबीर
व्यंग्य संग्रह - रुद्धान्त
सम्पादन- नवरंग (वार्षिक पत्रिका)
गिरगिट की आँखें (व्यंग्य संग्रह)
देश की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन
ईमेल- ramjibhairav.fciit@gmail.com