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Sunday, July 6, 2025

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गरीबीःसमुचित ईलाज के अभाव में महिला ने तोड़ा दम

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चंदौली। गरीबी से बड़ा अभिशाप कोई नहीं है। बीते एक नवंबर को भदलपुरा में घटित घटना ने इसे एक बार फिर साबित किया। साथ ही घटना ने मानवता को झन्कझोर कर रख दिया। फिलहाल घटना में दुक्खू मुसहर ने अपनी पत्नी खोई। साथ ही नवजात बच्चे को भी खो दिया, वहीं उसके बच्चों से उनकी मां का ममत्व सदैव के लिए छिन गया। घटना की जानकारी होते ही जिला पंचायत सदस्य रमेश यादव मौके पर पहुंचे और उन्होंने घटना पर दुख व्यक्त किया। साथ ही पीड़ित परिवार को जिला प्रशासन से सहयोग की मांग की।
उन्होंने बताया कि भदलपुरा निवासी दुक्खू मुसहर की पत्नी 25 वर्षीय आशा देवी बीते मंगलवार, 1 नवंबर को प्रसव पीड़ा हुई। इसके बाद तत्काल दुक्खू ने अपनी पत्नी को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चंदौली पर भर्ती किया, जहां आशा को मृत बच्ची पैदा हुई। प्रसव के बाद पत्नी आशा की हालत बिगड़ती चली गई। यह देख चिकित्सकों ने आशा को जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। चिकित्सकों द्वारा दुक्खू को बताया कि तुम्हारी पत्नी को खून की कमी है। जिला अस्पताल पहुंचने के बाद दुक्खू ने अपनी गरीबी का हवाला देते हुए पत्नी आशा का उपचार करने व उसकी जान बचाने की गुजारिश की, लेकिन जिला अस्पताल के डॉक्टर द्वारा आशा को वाराणसी के लिए रेफर कर दिया। ऐसी स्थिति में गरीब दुक्खू अपनी पत्नी को वाराणसी भर्ती कराने में असमर्थ रहा और चिकित्सकों की रेफर पर्ची के साथ मरीज को अपने घर भदलपुरा ले जा रहा था, तभी उसकी पत्नी ने दम तोड़ दिया। बताते हैं कि आशा देवी के तीन छोटे बच्चे रुपा 5 वर्ष, अंजू 3 वर्ष व संतू 1 वर्ष उम्र हैं। जिला पंचायत सदस्य रमेश यादव ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर दुक्खू की पत्नी आशा की डिलेवरी नार्मल हुई थी। पति दुक्खू मजदूरी करता है। 2 महीने पहले दुक्खू के पिता कैलाश मुसहर 50 वर्ष की बीमारी के कारण मौत हो चुकी है। इस घटना से दुक्खू के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट गया है। दुक्खू सब कुछ दवा करने में बेंच चुका है। अब दुक्खू के सामने भुखमरी और तीन बच्चों का पालन पोषण का सामना करना मजबूरी है। जिला पंचायत सदस्य रमेश यादव ने जिलाधिकारी चंदौली का ध्यान गरीब की ओर आकृष्ट करते हुए मांग किया है की गरीब दुक्खू को प्रशासनिक मदद किया जाय। सीएमएस डा. उर्मिला सिंह ने कहा कि मामला जानकारी में नहीं है। मामले की जानकारी के बाद ही कुछ स्पष्ट कहा जा सकता है। चिकित्सकों द्वारा मामले की गंभीरता के आधार पर ही मरीज को रेफर किया जाता है।

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