जनपद में धूमधाम से मनाया गया जीवित्पुत्रिका पर्व
चंदौली। जनपद में जीवित्पुत्रिका का पर्व बुधवार को धूमधाम के साथ मनाया गया। इस दौरान महिलाओं ने अपने पुत्र की दीर्घायु के लिए व्रत रखा। पर्व के मद्देनजर नगर सहित ग्रामीण अंचलों में सरोवर व पोखरों के तट पर व्रती महिलाओं की भारी भीड़ देखने को मिली। चंदौली स्थित सावजी पोखरे व प्राचीन काली माता मंदिर प्रांगण में निर्जला व्रत रखी महिलाएं बैंड बाजा के साथ पहुंची और स्नान कर पूजा पाठ किया।
विदित हो कि अश्विन महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान महिलाएं निराजल व्रत रखती हैं और सरोवर के किनारे जाकर पूजा पाठ करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने वाली महिला के पुत्र शतायु होते हैं। कहा जाता है कि उत्तरा के गर्भ पर अश्वत्थामा ने बाण चलाया और उसके गर्भ को नष्ट कर दिया, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उसे जीवित किया और उस वक्त यही तिथि थी। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि द्रौपदी के पुत्र जब महाभारत युद्ध के दौरान मारे गए, तब द्रौपदी उनका सिर लेकर भगवान श्रीकृष्ण के पास जाती है और तब श्रीकृष्ण उन्हें जीवित्पुत्रिका की कहानी बताते हैं। त्यौहार के मद्देनजर बाजार में भी रौनक दिखी और लोगों पूजा-पाठ से संबंधित सामग्री की खरीद की।