सात दशक से विकास के इंतजार में है औरवाटांड के ग्रामीण
Young Writer, नौगढ़। आजादी के सात दशक से भी अधिक समय व्यतीत हो जाने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से औरवाटांड़ के बाशिंदे वंचित हैं। वर्ष 2007 मे गांव को प्रकाशमान करने के लिए पहुंची बिजली से बल्ब मात्र एक माह तक ही अपना प्रकाश गांव में बिखेर सका। किरोसिन आयल की बिक्री भी सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों पर प्रतिबंधित होने से रहवासियों को ढिबरी की रौशनी भी अब नसीब नहीं हो पा रही है।
लगभग 40 परिवारों की संख्या वाले गांव में पेयजल के लिए एक कुआं व दो इण्डिया मार्का हैण्डपम्प शो पीस बनकर खड़ा है। वहीं सोलर पानी टंकी से पेयजल के लिए पानी की आपूर्ति हुए भी वर्ष भर बीत गया। ऐसे में स्थानीय ग्रामीण दो किलोमीटर दूर पगडंडियों के रास्ते गिरते पड़ते हुए चलकर नौगढ़ धनकुवारीं मार्ग पर पहुंचकर नौगढ़ बाजार जाकर के आवश्यक आवश्यकताओं की प्रतिपूर्ति करने को विवश होकर कई शारिरिक बीमारियों की चपेट में हैं। ग्राम पंचायत चिकनी मे समाहित राजस्व गांव औरवाटांड़ तक आवागमन के लिए संपर्क मार्ग भी नदारत होने के साथ ही अवयस्कों को प्राथमिक शिक्षा अर्जन के लिए दो किलोमीटर तक पगडंडियों के रास्ते जंगल झाड़ी से होकर चिकनी जाना आना पड़ता है। स्थिति इतनी खराब है कि गांव में 108 व 102 एंबुलेंस की सुविधा ग्रामीणों को मिल अब तक नामुमकिन है। यहां के ग्रामीणों के आय अर्जन का प्रमुख साधन खेती है जो जंगली जानवरों के आतंक प्रभावित रहती है। हाड़-तोड़ मेहनत के बाद भी किसान पैदावार का समुचित लाभ ले पाने से वंचित रह जाता है। गांव के विकास के लिए जिम्मेदारान जंप्रतिनिधि व विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी भी शासन का विकास परक योजनाओं से पात्रों को लाभान्वित करने से परहेज करते दिखलाई पड़ते हैं, जिससे यह प्रतीत होता है कि औरवाटांड गांव का विकास कागजो तक ही सीमित रह जा रहा है।