शहाबगंज। विकास क्षेत्र शहाबगंज के प्राथमिक विद्यालय सरैंया पर नियुक्त शिक्षक बीएसए सत्येंद्र कुमार सिंह से खौफ नहीं खाते। यही वजह है कि विद्यालय में तैनाती व स्कूली बच्चों के शिक्षा की जिम्मेदारी होने के बाद भी वहां नियुक्त शिक्षक विद्यालय आने में कोई रुचि नहीं दिखाते। ग्रामीणों का आरोप है कि बार-बार शिकायत के बाद भी शिक्षकों का रवैया नहीं बदल रहा है और वे घर बैठकर वेतन ले रहे हैं, जिससे बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पा रही है। यह सीधे तौर पर परिषदीय विद्यालय में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की सरकार की मंशा पर कुठाराघात है।
विदित हो कि नवरात्रि की तीन दिन की छुट्टी के बाद बुधवार को विद्यालय खुला, लेकिन सुबह 10ः30बजे तक मात्र एक अध्यापिका सरोज देवी उपस्थित मिली। वहीं बच्चों की संख्या भी मात्र 6 थी। जबकि परिषदीय विद्यालयों के संचालन के लिए सरकार लाखों रुपया खर्च कर रही है। लेकिन ऐसे लापरवाह शिक्षकों के सहारे विद्यालय का शैक्षणिक माहौल सुधारना मुश्किल है। वहीं नामांकित 120 बच्चों का भविष्य में अधर में है, जबकि विद्यालय में आधा दर्जन अध्यापकों की नियुक्ति है। जबकि लापरवाह शिक्षकों का पूर्व में भी बीईओ द्वारा वेतन काटा जा चुका है। बावजूद इनके लापरवाह शिक्षकों की आदत में सुधार नहीं हो रहा है। जो बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है। अभिभावकों का कहना था कि शिक्षकों की उपस्थिति नहीं होने से विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के पठन-पाठन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। शिकायतों को भी बेसिक शिक्षा विभाग संज्ञान में नहीं ले रहा है। खण्ड शिक्षा अधिकारी शहाबगंज अजय कुमार ने बताया कि अनुपस्थिति शिक्षकों के बारे में जानकारी लिया गया है। नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया जायेगा और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। किसी भी हाल में पठन-पाठन में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।