चंदौली। जिला न्यायालय एवं चंदौली मुख्यालय के विकास व उसके अस्तित्व को बचाने के लिए चलाए जा रहे आंदोलन के अगुवा अधिवक्ता झन्मेजय सिंह की सेहत सोमवार को धरनास्थल पर अचानक बिगड़ गयी। उनके बिगड़ते स्वास्थ्य को देखकर साथी अधिवक्ताओं ने उन्हें तत्काल उपचार के लिए स्थानीय डॉ0 आरडी मेमोरियल हॉस्पिटल ले गए, जहां उन्हें प्राथमिक उपचार देने के बाद उनके स्वास्थ्य की गहन जांच की गई, जिसमें उन्हें कई गंभीर बीमारियों के लक्षण दिखे। फिलहाल चिकित्सक शुभम सिंह ने उन्हें सबकुछ छोड़कर आराम की सलाह दी है। बावजूद इसके आंदोलन को लेकर समर्पित झन्मेजय सिंह अस्पताल से पुनः आंदोलन स्थल पर पहुंचे और आंदोलन में दंभ भरा।
विदित हो कि जिला न्यायालय एवं मुख्यालय के लिए विगत 39 दिनों से चंदौली कचहरी में आंदोलन चल रहा है। शुरुआती दिनों में आंदोलन की अगुवाई संयुक्त बार के द्वारा की गई, लेकिन बीच में संयुक्त बार की ओर से आंदोलन से अपना समर्थन ले लिया गया। ऐसे में अलग-थलग पड़े आंदोलन और अधिवक्ता एकता को झन्मेजय सिंह ने अपने कुशल प्रबंधन ने न केवल समेटा, बल्कि सभी को पुनः एक-एक कर एक मंच पर लाए और एक बार पुनः न्यायालय व मुख्यालय की लड़ाई में जान-फूंक दी। इस दरम्यान हर दिन सुबह आंदोलन शुरू होने से लगायत उसकी समाप्ति तक झन्मेजय सिंह पूरी तन्यमता व तत्परता के साथ डंटे रहे। इसके बाद भी आंदोलन को खंडित करने, उसे समाप्त करने के हो रहे तमाम षड्यंत्र व साजिशों को लम्बे समय से झेलने आ रहे थे। आंदोलन के 39वें दिन वह नित्य की भांति सुबह आंदोलन की अगुवाई करने चंदौली धरनास्थल पहुंचे, जहां आंदोलन के आगाज के कुछ समय बाद ही उनकी तबियत बिगड़ गयी, जिससे वहां अफरातफरी का माहौल कायम हो गया। साथी अधिवक्ताओं ने तत्परता दिखाते हुए उन्हें तत्काल समीप के एक निजी अस्पताल में ले गए, जहां फौरी तौर पर उनका प्राथमिक उपचार हुआ और उनकी सेहत में आंशिक सुधार आने के बाद उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। जिसमें उन्हें कई तरह के गंभीर बीमारियों के लक्षण दिखाई दिए। जांच रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए चिकित्सक द्वारा आंदोलन की अगुवाई कर रहे अधिवक्ता झन्मेजय सिंह को सबकुछ दरकिनार कर पूरी तरह से आराम करने और वरिष्ठ चिकित्सकों से परामर्श के अनुसार दवाएं लेने व ऐहतियात बरतने की सलाह दी। बावजूद इसके अधिवक्ता झन्मेजय सिंह आंदोलन को आगे बढ़ाने की अपनी जिद पर अड़े रहे। कहा कि जिला न्यायालय के लिए लड़ाई अंतिम दम तक लड़ी जाएगी। इस आंदोलन के लिए मैं अपना सर्वोपरि बलिदान देने को भी तैयार हूं।