चंदौली। नगर पंचायत व एनएचएआई प्राधिकरण द्वारा विगत दिनों सैम हॉस्पिटल की होर्डिंग को जबरन हटाए जाने के मामले में उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी किया हैं। सैम हॉस्पिटल द्वारा याचिका दाखिल किए जाने के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल प्रभाव से होर्डिंग हटाने पर रोक लगाई है। साथ ही आठ जुलाई को एनएचएआई प्राधिकरण व नगर पंचायत को न्यायालय में तलब होकर अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है।
सैम हॉस्पिटल के संचालक डॉ. एस.जी.इमाम ने बताया कि नगर पंचायत से पूर्णत: वैध प्रक्रिया के तहत 10 x 20 फीट आकार के कुल पाँच होर्डिंग लगाने की अनुमति लिया गया था। साथ ही मासिक शुल्क और किराए भी नगर पंचायत को समय से जमा किए गए थे। बावजूद इसके बिना किसी पूर्व नोटिस या कानूनी सूचना के नेशनल हाईवे के अधिकारियों व नगर पंचायत की मिलीभगत से उनके द्वारा लगाए गए सभी होर्डिंग को जबरन तोड़ दिए तोड़ अथवा हटवा दिया गया। डॉ. इमाम ने बताया कि प्रत्येक होर्डिंग की लागत लगभग दो लाख था। और इसका दस्तावेज़ी प्रमाण बिल व वाउचर के साथ न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिस भूमि पर होर्डिंग लगाए गए थे। वह नगर पंचायत की अधिकृत भूमि था। उसी के अनुसार सभी नियमों का पालन करते हुए वैधानिक परमिशन प्राप्त किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि जब उच्चाधिकारियों से इस कार्रवाई की वजह पूछनी चाही तो न तो नगर पंचायत और न ही एनएच-19 के अधिकारियों ने कोई स्पष्ट जवाब दिया। हाईकोर्ट ने सैम हॉस्पिटल की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह स्पष्ट किया हैं कि जब तक मामले में पूरी जांच और दोनों पक्षों की दलीलें सामने नहीं आ जातीं तब तक किसी भी तरह की तोड़फोड़ या हटाने की कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाया जाएं। न्यायमूर्ति हरवीर सिंह और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की खंडपीठ ने यह भी निर्देशित किया कि नेशनल हाईवे प्राधिकरण और नगर पंचायत दोनों ही संस्थाएं 8 जुलाई को अदालत में प्रस्तुत होकर अपने-अपने पक्षों को स्पष्ट रूप से रखें।
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होर्डिंग तोड़ने की चर्चा जोरों पर
चंदौली। सैम हॉस्पिटल की होर्डिंग तोड़ने पर आम जनता और विभिन्न संस्थानों में यह चर्चा जोरों पर है कि जब एक प्रतिष्ठित अस्पताल ने विधिसम्मत तरीके से सभी शर्तें पूरी की थीं। तो फिर उनके खिलाफ इस प्रकार की तानाशाही कार्यवाही क्यों की गई। यह प्रशासनिक अराजकता को दर्शाता है। या फिर स्थानीय स्तर पर किसी दबाव या स्वार्थ की कहानी है। यह आने वाले समय में न्यायालय में स्पष्ट होगा।