आल इंडिया मुशायरा व कवि सम्मेलन बड़गावां में हुआ संम्पन्न
शहाबगंज। आज के दौर में फ़नकार होना चाहिए ,जिंदा रहने के लिए मक्कार होना चाहिए। ऐसे ही शेरो-शायरी का लुत्फ क्षेत्र के बड़गांवा गांव में सोमवार को देरशाम कौमी यकजहती फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित आल इंडिया मुशायरा व कवि सम्मेलन में श्रोताओं ने उठाया। इसकी शुरुआत मुख्य अतिथि इंजीनियर अबु बकर सिद्दीकी ने फीता काटकर किया। इसके बाद कवियों के शानदार प्रस्तुति ने लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।

इस दौरान सभी अतिथियों, कवियों को स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्रम भेंटकर सम्मानित किया गया। बरेली से आयीं शाइस्ता सना ने किसी को गम ने किसी को खुशी ने मार दिया,जो बच गया उन्हें जिंदगी ने मार दिया सुनाकर युवाओं को ख़ूब लुभाया। शमशाद आजमी ने मुर्गा-मछली जहाँ मिले हरदम, ऐसी ससुराल सबको दे मौला सुनाकर लोगों की तालियां बटोरी। शादाब सरल ने हालात जिंदगी कुछ ऐसे बदल गए। सावन शुक्ला ने इसी मौसम में तेरे साथ रहना था। हर्षित मिश्रा ने कहां-कहां पे अकीदत से सर झुकाए को भी ख़ूब सराहा गया। चोंच गयावी ने ठीक से शक्ल क्यों नहीं धोते हम तुम्हें देख के डर जाते हैं तो नेपाल से आए फ़ैयाज़ फैजी ने कैसे मुझको छोड़ के वह रह पाएगा,जाने वाला लौट के आएगा। अबु शमां ने कैसे आबाद भला होंगी चमन में खुशियां। बन्धु पाल बन्धु ने परधानी क परचा भरके खड़ी भईल मेहरारू, हमरो खटिया खड़ी हो गईल ढोवत-ढोवत दारू।
खुर्शीद हैदर ने गैर परों पर उड़ सकते हैं हद से हद दीवारों तक। दानिश गजल मेरठी ने मुझे मरना है इक ज़ालिम के हाथों कहानी में यहीं किरदार हूँ मैं। निकहत अमरोही ने मुरझाए कोई फूल तो गुलदान रो पड़े। बलिया से आईं प्रतिभा यादव ने सोचती हूँ तुम्हें देखूं या प्यार करुं ने युवकों को झूमने पर विवश कर दिया। दानिश इकबाल ने जब राह को चुनना होता है। जमजम रामनगरी ने चंद ही लोग करते हैं जो नफ़रत हमसे वरना अएखाके वतन सबके दुलारे हैं हम। निज़ामत गैबी जौनपुरी ने साकिया कौन गया उठ के मयखाने से,जा़म मिल-मिल के गले उतरते हैं पैमाने से सुनाकर दर्शकों को बांधे रखा। मुशायरा में परवेज अहमद जोखू, अनुग्रह नारायण सिंह बंटी, जैनुल आबेदीन, सुधाकर कुशवाहा, प्रधान संघ के ब्लॉक अध्यक्ष गुलफाम अहमद मिक्कू, अब्दुल समद, शमशाद अंसारी, सजाउद्दीन, राम अवध सिंह, शाहनवाज अहमद, दानिश बीडीसी, शहबाज रिंकू, मुस्ताक अहमद, सद्दाम, इबरार अली आदि मौजूद थे। अध्यक्षता अतीक अंजर तथा संचालन निजामत गैबी जौनपुरी ने किया। स्वागत संयोजक अब्दुल कय्यूम खान कम्मू ने किया।