Young Writer, चंदौली। धान खरीद को लेकर नवीन मंडी समिति में क्रय केंद्र प्रभारी व किसान सोमवार को आमने-सामने दिखे। इस दौरान खरीद नहीं होने से खफा एक किसान ने किसी कर्मचारी को थप्पड़ जड़ दिया, जिससे वहां तनावपूर्ण स्थिति कायम हो गयी। हो-हल्ला सुनकर धान खरीद प्रक्रिया में लगे कर्मचारी एकजुट हो गए। वहीं दूसरी ओर किसान भी गोलबंद नजर आए। इस दौरान मौके पर गाली-गलौज का दौर काफी देर तक चला। इस घटना से गुस्साएं कर्मचारियों ने सभी केंद्रों पर खरीद थप कर दी और थप्पड़ मारने वाले किसान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करने की मांग पर अड़ गए। सूचना के बाद जिला विपणन अधिकारी अनूप श्रीवास्तव व भाजपा नेता राणा प्रताप सिंह भी मौके पर पहुंचे और स्थिति को संभालने में जुट गए।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक मंडी समिति में धान खरीद केंद्र पर कुछ किसानों ने अपना धान गिरा रखा है, जिनकी खरीद व तौल करने में क्रय केन्द्र पर तैनात कर्मचारी व अफसर आनाकानी कर रहे थे। इसी बात को लेकर एक किसान से एफसीआई के कर्मचारी की कहासुनी हो गयी। बात-बात में विवाद इस कदर बढ़ गया कि स्थिति मारपीट तक पहुंच गयी। क्रय कंेद्र पर तैनात कर्मचारी का आरोप है कि किसान द्वारा उसे थप्पड़ मारा गया। इससे मौके पर होहल्ला होने लगा और मंडी में संचालित सातों क्रय केन्द्र पर तैनात कर्मचारी व अफसर जुट गए। वहीं दूसरी ओर किसान पर गोलबंद नजर आए। किसान व कर्मचारी एक-दूसरे पर काफी देर तक आरोप प्रत्यारोप करते नजर आए। गुस्साए कर्मचारियों ने कार्यवाही की मांग को लेकर सभी केंद्रों पर खरीद को ठप कर दिया। जानकारी के बाद जिला विपणन अधिकारी अनूप श्रीवास्तव व कुछ किसान नेता भी पहुंचे। किसान नेताओं के साथ ही जिला विपणन अधिकारी ने कर्मचारियों को गोलबंदी ना करने की सलाह दी। कहा कि खरीद प्रक्रिया को ठप करना शासन की मंशा के खिलाफ है और जो भी ऐसा करते हुए पाया गया उसके खिलाफ कठोर कार्यवाही की संस्तुति की जाएगी। समाचार दिए जाने तक मंडी समिति में संचालित सभी क्रय केंद्रों पर खरीद प्रक्रिया रुकी थी, जिससे वहां धान की बेचने आए किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ा और वे काफी गुस्से में नजर आए। किसानों का आरोप था कि क्रय केंद्रों पर कर्मचारी मनमानी व लापरवाही कर रहे हैं। आलम यह है कि दूसरे के टोकन पर किसी अन्य का धान बेच दिया जा रहा है, जिससे अपनी बार का इंतजार कर रहा किसान परेशान हो जा रहा है। यदि ऐसे ही लापरवाही जारी रही तो कर्मचारियों व अफसरों को किसानों के गुस्से व आक्रोश का सामना करना पड़ेगा।