चंदौली। भारतवर्ष त्योहारों का देश है यहां एक त्यौहार बीतते ही नए त्यौहार का आगमन हो जाता है। परंतु कुछ ऐसे त्यौहार हैं जिनको मनाने में कितना भी उमंग लगाया जाए कम है। और शिव की नगरी काशी तो अपने आप में ही अलौकिक नगरी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार देव दिवाली के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध करके देवताओं को भय से मुक्ति दिलाते हुए फिर से स्वर्ग का राज्य सौंप दिया था। तब सभी देवताओं ने दीये जलाकर भगवान शिव का स्वागत किया था,तभी से देव दिवाली मनाने की परंपरा है। इसी उपलक्ष्य पर प्रतिवर्ष की भांति खुशी की उड़ान संस्था द्वारा काशी के सुप्रसिद्ध अस्सी घाट पर देव दिवाली पर दीप प्रज्वलन एवं रंगोली का आयोजन करवाती है। रंगोली की अद्भुत अनुपम छटा पूरे घाटों पर सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। क्युकी मान्यता है कि काशी एक ऐसा दैविक स्थान है जहाँ लोग मोक्ष और मृत्यु कि प्रार्थना करते है। यहाँ शरीर त्यागने वाला व्यक्ति सीधे स्वर्ग जाता है, और मृत्यु को भी जश्न के रूप में देखा जाता है।इसी विषय पर संस्था ने रंगोली बनाकर शिव की नगरी काशी मे मृत्यु भी एक उत्सव हो सकता है ऐसा संदेश दिया।सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र व पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। संस्था की संस्थापिका सारिका दुबे ने कहाँ कि प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी हमारी संस्था घाट पर उपस्थित है लाखो भक्तो के स्वागत व काशी जिसके लिए जानी जाती है उस विषय को लेकर जो कि है “मृत्यु और उत्सव रंगोली बनाने वाले कलाकार बालाघाट मध्यप्रदेश की वाराणसी में इंस्टिट्यूट ऑफ फाइन आर्ट्स की छात्राए आँचल चौधरी, निहारिका प्रधान, मुस्कान मौर्या जिन्होने महादेव के सुन्दर छावी को आकार दिया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से कोषाध्यक्ष चितेश्वर सेठ, डिजिटल हेड विशाल, मार्केटिंग हेड संध्या, कृतिका दुबे,आदित्य जायसवाल, आहिल खान, नेहा,संतोष एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।

