चकिया विधानसभा अंतर्गत नौगढ़ के नरकटी से ग्रामीणों ने भाजपा नेताओं को खुलेआम खदेड़ा
Young Writer, नौगढ़। नक्सल प्रभावित नौगढ़ में हिंसा, खून-खराबा व नक्सली मूवमेंट रोकने की जद्दोजहद कर रही चंदौली पुलिस के इकबाल को भाजपा नेता ने खुली चुनौती दी है। नरकटी में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट मांगने गए नेताओं का ग्रामीणों ने प्रतिकार किया और वोट ना देने की बात कही तो चकिया विधानसभा क्षेत्र में भाजपा नेता गुंडई पर उतर आए और ग्रामीणों को निशाने पर लेते हुए चुन-चुन कर मारने की धमकी दी, जिसका वीडियो एक ग्रामीण में ट्विटर पर डालकर एक बार फिर अशांत होते नक्सल प्रभावित नौगढ़ को शांत रहने के लिए निष्पक्ष भाव से एक्शन लेने की गुजारिश की है। फिलहाल भाजपाइयों के खुलेआम प्रतिकार की यह पहली घटना है, जो नक्सल प्रभावित नौगढ़ के नरकटी में घटित हुई है।
भाजपा नेताओं की गुंडई व खुलेआम धमकी से ग्रामीणों में आक्रोश अपने उफान पर है और वे बेहद खफा है उनके आक्रोश की ताप से आसपास के उन तमाम गांवों के ग्रामीणों में गुस्से को जन्म दिया है जो विकास से आज भी अछूते हैं। ऐसे में भाजपा नेताओं व ग्रामीणों में कब कहां संघर्ष की स्थिति कायम हो जाय कहा नहीं जा सकता है। फिलहाल अब सबकुछ पुलिस की कार्यवाही व मूवमेंट पर आ टिका है। क्योंकि यदि पुलिस इस प्रकरण में निष्पक्षता व तत्परता दिखाते हुए समुचित कार्यवाही करती है तो ग्रामीणों के आक्रोश व गुस्से पर काफी हद तक विराम लग जाएगा, अन्यथा की स्थिति में ग्रामीणों में आक्रोश के बढ़ने की संभावनाएं है। इस तरह की घटनाएं लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। एक तरफ जहां पांच साल विकास का इंतजार करने वाले ग्रामीणों के हिस्से में कुछ नहीं आया तो उन्होंने अबकी बार गांवों में वोट मांगने गए भाजपाइयों का खुलेआम प्रतिकार किया। अपने विरोध को स्कार्पियो जैसी लग्जरी गाड़ियों में सवार भाजपा कार्यकर्ता बाघीं ग्राम प्रधान प्रतिनिधि दीपक गुप्ता सहित अन्य भाजपा नेताओं को नागवार लगा और उन्होंने जाते-जाते ग्रामीणों को गुंडा करार देते हुए चुन-चुनकर मारने की धमकी दे डाली। इससे ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। हालांकि मौके की नजाकत को देखते हुए भाजपा नेता अपने काफिले के साथ मौके से भाग निकले। इस दौरान पूरे घटनाक्रम को एक ग्रामीण ने कैमरे में कैद कर लिया और उसे ट्विटर पर डालकर मामले को पुलिस के संज्ञान में लाने का काम किया है। ग्रामीणों का आरोप है कि स्थानीय पुलिस ऐसे में मामलों में ग्रामीणों की शिकायत व मांगों को हरबार अनसुना करती आयी है लिहाजा अब हम सभी अब सोशल मीडिया के जरिए पुलिस व प्रशासनिक अमले के बड़े अफसरों तक अपनी फरियाद पहुंचाना चाहते हैं। क्योंकि स्थानीय पुलिस का व्यवहार कभी भी आम जनता को भरोसे में लेने का नहीं रहा है। उधर, पुलिस ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच की बात कही है। इस प्रकरण की जांच सीओ नक्सल को सौंपी गयी है। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि प्रत्यक्ष घटना के वीडियो को संज्ञान में लेकर जब पुलिस को कार्यवाही जैसे कदम उठाने चाहिए, तब पुलिस जांच की बात कर रही है। अब देखना यह है कि यह घटनाक्रम नौगढ़ की वादियों में किस तरह राजनीतिक समीकरण को बदलने के साथ ही अन्य घटनाक्रम को प्रभावित करती है।