चहनियां। नागपंचमी के अवसर पर क्षेत्र में सर फोड़ने की एक ऐसी परम्परा होती है। ,जिसके बारे में सुनते ही रौंगटे खड़े हो जाते है। इस परम्परा का निर्वहन करने के लिए बकायदे दोनो गांव बिसुपर महुआरीखास में तैयारी सुबह से ही शुरू हो जाती है। इस परंपरा को देखने के लिए ग्रामीणों का हुजूम के साथ पुलिस फोर्स भी मौजूद रहती है। यह परम्परा दोनों गांवो के बीच वर्षों से चली आ रही है। नाग पंचमी के दिन सुबह ही दोनो गांव की महिलाये व पुरुष अपने अपने गांव के मंदिरों पर इकट्ठा हो जाते है। कार्यक्रम से पहले विधवत पूजा पाठ करके कजरी गीत का आयोजन करती है। जो देर दोपहर तक चलता है। शाम करीब 4 बजे के बाद दोनो गांव की महिलाये व पुरुष दोनों गांवो के बीच नाले पर इकट्ठा होती है । दोनो गांव की महिलाओं की तरफ से फूहड़ गाली गलौज जो परम्परा का हिस्सा है। शुरू होता है । गाली ऐसी की देखने वाले भी शर्म से सर झुका लेते है। यह गाली दोनो तरफ से पुरुषों को उकसाने के लिए होती है। फिर शुरू होता है ईट पत्थर फेंकने का दौर यह तब तक चलता है जब तक दोनो तरफ से किसी के सर से खून न निकल जाये । पहले काफी लोग चोटहिल हो जाते थे। इसमे सुरक्षा करने वाले पुलिस कर्मी भी घायल हो जाते थे। किन्तु अब इसे थोड़ा कम कर दिया गया है। पिछले बार बिसुपुर मे महायज्ञ कराने आये सन्त लक्ष्मी प्रपत्र जीयर स्वामी के मना करने पर एक दो वर्ष इस परंपरा को केवल कजली तक ही सीमित कर दिया गया था। किन्तु यह परंपरा पुनः शुरू हो गया। इसे देखने के लिए हजारो की संख्या में लोग नाले पर इकट्ठा होते है। बिसुपुर के चंदन तिवारी,डॉ0 बिंध्याचल तिवारी ,महुआरीखास गांव के दीपक कुमार सिंह ,प्रधान सतेन्द्र सिंह का कहना है कि दोनो गांव में यह परम्परा वर्षों से चली आ रही है। सब कुछ पूजा पाठ,कजली गीत आदि होता है। किन्तु सर फोड़ने की परम्परा मात्र दो चार तक ही सीमित हो गयी है । जबकि पहले कई लोगो का सर फट जाता था । यह परम्परा गांव में सुख समृद्धि के लिए होता है ।